1979 में कोयले, खद्दान की पृष्टभूमि पर बनी फिल्म काला पत्थर अपने सुनहरे दौर की एक बेहतरीन फिल्म थी, फिल्म सुपर डुपर हिट भी थी अपने ज़माने के हिसाब से और फिल्म के नग्मों के क्या कहने!
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1979 से अब तक देश ने काफी लम्बा सफर तय कर लिया है मगर न जाने क्यों फिर वही कहानी वही किरदार राजनैतिक पत्थर के पटकथा पर आमने सामने नज़र आ रहें है, ऐसे कयास लगाये जा रहे है जो की गलत भी हो सकती है?
काला पत्थर हो या राजनैतिक पत्थर पृष्टभूमि में दोनों के ही कोयला ही है और किरदार भी वही, मगर यह एक ऐसा संयोग जिसे दरकिनार करना अगर आसान नहीं है तो मुश्किल भी नहीं है?