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प्याज के आंसू

30 मई 2016

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प्याज.... जिसे सब्जियों का राजा माना जाता है, मजाल नहीं है किसी सब्जी की कि इसके बिना बन जाये। यदि बन गई तो पूरी सब्जी का स्वाद बिगड़ सकता है। अपने रसूख के दम पर बहुत रूलाता है सब्जियों को यह प्याज। सिर्फ सब्जीयॉ ही नहीं ऐसा कोई नहीं जिसे रूलाया नहीं इसने। क्यों रूलाता है ये? काटने वाले को रूलाता है, खाते समय खाने वाले को रूलाता है। खरीदार को रूलाता है। बेचवाल को भी रूलाता है। पैदा करने वाले किसान से लेकर साहब लोग और सरकार तक को रूला देता है। रेट बढ़ जाये तो आम-आदमीं आंसू बहाता है। रेट कम हो जाये तो किसान रोता है, प्याज..... किसान से आत्महत्या करवाके उसके पूरे परिवार, रिस्तेदार, दोस्तो सबको रूला देता है। यही नहीं... यह 1 रूपये किलो में बिके तो सिर्फ किसान फंदे पर झुलता है, यदि 50 रूपये किलो बिक गया तो सरकारों को लटका देता है, और कहीं 80 रूपये किलो हो जाये तो सरकार गिरा भी देता है!

प्याज..... बड़ा कठिन है इस प्याज के राज को समझना। कभी यह ट्रकों में भर-भरकर सड़कों पर फेंक दिया जाता है, तो कभी सुनार की दुकान पर सोने के भाव बिकता है। कभी किसान के खेतों में ही सड़ जाता है, तो कभी राखी के त्यौहार पर बहन को भाई का तोहफा बन जाता है। यह एक ऐसा बाहुबली है जिससे हर कोई डरता है। इसके प्रकोप से कोई अछूता नहीं रह सकता। बहुत बड़ा राजनीतिबाज है ये प्याज। मुझे याद आता है कि इसने किस तरह से देश की राजनीति में उस वक्त हड़कम्प मचा दिया था, जब इसने अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार को रूला-रूलाकर सत्ता से ही हटवा दिया था।
सर जी...... दूसरों की छोडि़ए मेरी ही सुन लीजिए, मुझे भी इस प्याज ने अपने प्रकोप से राहत नहीं दी। अभी कुछ दिन पहले ही न जाने कहां से एक ट्रक प्याज आया था नगर में, 300 रूपये मे दो बोरे (100 किलो), मतलब 3 रूपये किलों प्याज खरीद लिए मैंने! सोचा यही सहीं मौका है प्याज की कीमतों पर काबू पाने का। परन्तु ये क्या!...... प्याज ने तो अब घर पर भूक हड़ताल कर रखी है, खाता-पीता कुछ नहीं और दिनों-दिन दुबला (पचता) होता जा रहा है। मांग ये है कि मुझे इतने सस्तें में खरीदा ही क्यूं? मुझे तो डर यह है कि मेरे खा-खाकर खत्म करने से पहले ही प्याज गायब न हो जाये। अब मैं भी रो रहा हूं वहीं ‘‘प्याज के आंसू’’।
अभी कुछ ही दिन पहले इसकी कोप दृष्टि देश के रॉकस्टार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी पड़ी। झट से प्याज ने अपनी कीमत 50 रूपये प्रति किलो करली। अब क्या....मोदी जी तो गुजराती व्यापारी दिमाग के आदमी, झट से प्याज की चाल समझ गये, सुपरमैन बन गये और फटाफट प्याज को 50 रूपये से कम करते-करते आज 1 रूपये प्रति किलो पर ले आये। भई.... अब प्याज तो प्याज है उसे किसी न किसी को तो रूलाना ही है। उधर मोदी जी की जान छूटी नहीं और इधर प्याज का प्रकोप वापस किसानों पर आ गया। अभी-अभी हीं समाचार में पढ़ा की एक किसान ने 952 किलो प्याज 1523 रूपये 20 पैसे में बेचे, प्याज बेचने के लिए घर से मंडी तक ले जाने के लिए उसे कुल खर्च आया 1523 रूपये 20 पैसे, इस तरह से उस किसान ने प्याज पर 1 रूपये कमाया। अब ओ किसान प्याज के आंसू रो रहा है।
बड़ा कठिन है प्रभु इस प्याज के प्रकोप से पार पाना। शायद इसलिए आज किसान इस प्याज को बेचने के बजाय सड़को पर फेंक देता है। सरकार इस प्याज के प्रकोप को भली भांती जानती है, सरकार जानती है कि रेट कम हुए तो किसान जरूर मरेंगे, लेकिन रेट बढ़ने पर खुद को ही फांसी लग जायेगी। ये प्याज की राजनीति और राजनीति के प्याज! कौन जाने आगे देश पर क्या-क्या प्रकोप लाते है।

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