रिश्ते, जीवन यात्रा में मिले हुए लोगों का ऐसा साथ है जिनका प्रेम,विश्वास और सहयोग हमे उनसे जोङे रखता है ।धीरे-धीरे ये साथ और मजबूत होता जाता है ।
यद्यपि कहा जाता है कि इन रिश्तों में परिपक्वता समय के साथ बढ़ती जाती है,चाहे कैसी भी परिस्थिति रही हो।पर फिर भी कई बार ऐसा देखा गया है कि ये जुङाव ढीला होता जाता है । कारण कभी-कभी गंभीर भी हो सकते हैं लेकिन कभी कभी-कभी बिना किसी विशेष परिस्थिति के,वे रिश्ते टकराव वाली स्थिति में आ जाते हैं ।कारण मुख्यतः,जो आमतौर पर देखे जाते हैं उनमें अपेक्षा और उपेक्षा दोनों ही सम्मिलित होते हैं ।
अपेक्षा का सामना तो हम लोग अपने क्रियाकलापों,व्यवहार,सोच आदि में फेरबदल करके कर लेते है,लेकिन उपेक्षा कई बार उन आशंकाओं और घटनाओं को न्यौता दे देती है,जिनसे ये रिश्ते टूटने की स्थिति में पहुँचते महसूस होते हैं ।
साधना