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ओम प्रकाश शर्मा के बारे में

आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है.

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ओम प्रकाश शर्मा की पुस्तकें

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ओम प्रकाश शर्मा के लेख

तरकीबें

30 अप्रैल 2016
4
1

आंख में पानी रखो, होठों  पे  चिंगारी  रखो,ज़िन्दा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो। -राहत इंदौरी 

साँवली सी एक लड़की

29 अप्रैल 2016
7
1

वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ बस उसी वक़्त जब वो आती है कुछ इंतिज़ार की आदत सी हो गई है मुझे एक अजनबी की ज़रूरत

ये ज़िन्दगी

29 अप्रैल 2016
8
5

ये ज़िन्दगी आज जो तुम्हारे बदन की छोटी-बड़ी नसों में मचल रही है तुम्हारे पैरों से चल रही है तुम्हारी आवाज़ में ग़ले से निकल रही है तुम्हारे लफ़्ज़ों में ढल रही हैये ज़िन्दगी जाने कितनी सदियों से यूँ ही शक्लें बदल रही हैबदलती शक्लों बदलते जिस्मों में चलता-फिरता ये इक श

अब काम करेगा भारत का अपना जीपीएस सिस्टम

29 अप्रैल 2016
1
0

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आओ सीखें शब्द ( 74 )

29 अप्रैल 2016
1
0

अन्तर्गति : 1- मनोभाव 2- मनोवेग 3- अंतर्वेग 4- चित्तवृत्ति 5- जज़्बात प्रयोग: हृदयविदारक दृश्यों को देखकर वह अपनी अंतर्गति पर नियंत्रण न  रख सका I

पूरा दिन

28 अप्रैल 2016
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मुझे खर्ची में पूरा एक दिन, हर रोज़ मिलता हैमगर हर रोज़ कोई छीन लेता है,झपट लेता है, अंटी सेकभी खीसे से गिर पड़ता है तो गिरने कीआहट भी नहीं होती,खरे दिन को भी खोटा समझ के भूल जाता हूँ मैंगिरेबान से पकड़ कर मांगने वाले भी मिलते हैं"तेरी

आम

28 अप्रैल 2016
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मोड़ पे देखा है वो बूढ़ा-सा इक आम का पेड़ कभी?मेरा वाकिफ़ है बहुत सालों से, मैं जानता हूँजब मैं छोटा था तो इक आम चुराने के लिएपरली दीवार से कंधों पे चढ़ा था उसकेजाने दुखती हुई किस शाख से मेरा पाँव लगाधाड़

आओ सीखें शब्द (73)

27 अप्रैल 2016
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मनीषी : 1- विचारक 2- चिन्तक प्रयोग :  इतनी गूढ़ बात तो कोई मनीषी ही बता सकता है। 

बेकार पड़े बोरवेल से अचानक निकला पानी

27 अप्रैल 2016
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बुंदेलखंड के एक गांव में  उस समय खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब एक बेकार पड़े   बोरवेल से अचानक पानी निकल आया। बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने खूब पानी भरा। पानी के लिए

अन्धकार से प्रकाश की ओर

27 अप्रैल 2016
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1

स्वामी विवेकानंद ने कहा है-"दुर्बलता का उपचार सदैव उसी का चिंतन करते रहना नहीं, बल्कि अपने भीतर निहित बल का स्मरण करना है। मनुष्य को पापी न बतलाकर वेदांत इसके ठीक विपरीत मार्ग का ग्रहण करता है और कहता है- 'तुम पूर्ण तथा शुद्धस्वरूप हो औ

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