वंदना शादी में जाने के लिए तैयारी कर ही रही थी कि बहू तरुणा ने कहा, “मम्मी जी ! आप अमिता आँटी की बेटी की शादी में जाना चाहें तो नवीन पापाजी और आप को छोड़ आएँगे लेकिन आपको सोचना चाहिए कि कोरोना की मुसीबत में आप कितना बड़ा खतरा उठा रही हैं ?” पति नरेश ने भी तरुणा का समर्थन किया और लापरवाह लहज़े में कह दिया कि अमिता को कभी बाद में लिफाफा दे आना I
अमिता ऑफिस में वंदना से सीनियर थी और उसने वंदना को कामकाज सीखने और समय-समय पर कई उलझनों से बाहर निकलने में बहुत मदद भी की थी I अमिता ही नहीं, अन्य सहकर्मी भी एक-दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे I वंदना ने अपनी शादी के बाद से अपने आप को घर के कामकाज और नौकरी में खपा दिया था I घरखर्च और बच्चों की पढ़ाई का ज्यादातर भार उसी ने उठाया था I अपने रिटायरमेंट पर भी उसने अपने बच्चों के लिए काफी बड़ी धनराशि और स्वयं तथा अपने पति के लिए फैमिली पेंशन, इलाज़ आदि कई सुविधाओं के इंतज़ाम के साथ आत्मनिर्भर होकर घरवापसी की थी लेकिन वंदना से स्नेहसंबंध रखने वाले रिश्तेदार और पड़ौसी भी उसके साठवें जन्मदिन और रिटायरमेंट की पार्टी का इंतज़ार ही करते रह गए थे क्योंकि इसमें उसके परिवार ने रुचि ली ही नहीं थी जबकि उसके ऑफिस के साथियों ने उसकी विदाई के उदास माहौल में भी इतना अच्छा समारोह आयोजित किया था कि इसके फोटो नरेश ने भी सोशल मीडिया पर शान से शेयर कर दिए थे I और अब, रिटायरमेंट के बाद के इन वर्षों में वंदना अपनी चारदीवारी में कुछ इस तरह से उलझी रही है कि उसके वही स्नेही साथी ऑफिस की उसके घर से बहुत दूरी नहीं होने के बावज़ूद तीज-त्यौहार पर भी उससे मिलनेजुलने में संकोच करने लगे हैं I
वंदना तरुणा और नरेश की सलाह मानकर शादी में जाने के लिए तैयार किए कपड़े समेट ही रही थी कि पोती निक्की कुछ फोटो ले आई I इन पर नज़र पड़ते ही तरुणा के भतीजे की पिछले ही महीने हुई शादी वंदना के दिमाग में ताज़ा-सी हो गई I कोरोना के इसी दौर में ही तो तरुणा की भाभी की ज़िद के कारण उन्हें अपने घर से काफी दूर होने के बावजूद सभी रस्मों में शामिल होना ही पड़ा था I वहां कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियाँ भी उड़ रही थीं I फोटो देखते-देखते वंदना को ख्याल आया कि अमिता का घर तो यहां से बहुत दूर भी नहीं है और उसके पति सुधींद्र ने नरेश को बतलाया भी था कि उन्होंने अपने मेहमानों की संख्या बहुत सीमित ही रखी है तथा वे बहुत सावधानी भी रखेंगे, लेकिन इसके बावजूद उसके अपने ही परिवार ने कोरोना का डर दिखाकर उसे उसकी सबसे करीबी दोस्त की खुशियों में शामिल होने से रोक दिया है I तभी उसके दिमाग में सवाल कौंध गया, “कोरोना हो या और कोई-भी कैसी-भी समस्या, क्या ये कारण अपने परिवार पर निर्भर हो चुकी औरतों की ही इच्छाओं पर ही वार करते रहेंगे ? और आखिर कब तक ?”