रक्छा बन्धन
इस राखी पर भैया ,मुझे बसयही तोहफा देना तुम ,रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस यही इकवचन देना तुम ,बेटी हूं मैं , शायद ससुराल से रोज़ न आपाऊंगी ,जब भी पीहर आऊंगी , इक मेहमान बनकरआऊंगी ,पर वादा है, ससुराल में संस्कारों से,पीहर की शोभा बढाऊंगी ,तुम तो बेटे हो , इस बात को नभुला देना तुम ,रखोगे ख्याल माँ -पाप