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रक्छा बन्धन

29 अगस्त 2015

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featured imageइस राखी पर भैया ,मुझे बस यही तोहफा देना तुम , रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस यही इक वचन देना तुम , बेटी हूं मैं , शायद ससुराल से रोज़ न आ पाऊंगी , जब भी पीहर आऊंगी , इक मेहमान बनकर आऊंगी , पर वादा है, ससुराल में संस्कारों से, पीहर की शोभा बढाऊंगी , तुम तो बेटे हो , इस बात को न भुला देना तुम , रखोगे ख्याल माँ -पापा का बस यही वचन देना तुम , मुझे नहीं चाहिये सोना-चांदी , न चाहिये हीरे-मोती , मैं इन सब चीजों से कहां सुःख पाऊंगी देखूंगी जब माँ-पापा को पीहर में खुश तो ससुराल में चैन से मैं भी जी पाऊंगी अनमोल हैं ये रिश्ते , इन्हें यूं ही न गंवा देना तुम , रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस यही वचन देना तुम , वो कभी तुम पर यां भाभी पर गुस्सा हो जायेंगे , कभी चिड़चिड़ाहट में कुछ कह भी जायेंगे , न गुस्सा करना , न पलट के कुछ कहना तुम , उम्र का तकाजा है, यह भाभी को भी समझा देना तुम , इस राखी पर भैया मुझे बस यही तोहफा देना तुम , रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस यही वचन देना तुम ।🙏🙏🙏

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