रात को मुझे एक सपना ।आया और उस सपने में गाड़ी में मैं ड्राइवर के साथ जा रही थी ।थोड़ी देर में मुझे यह फील हुआ कि ड्राइवर ठीक नहीं है और मुझे असहज लगने लग गया। मैंने उससे कहा कि तुम गाड़ी रोको मुझे क्योंकि पीछे वाली सीट पर बैठना है ।ड्राइवर ने गुस्से में गाड़ी को वही रोक दिया और बोला कि उतरना तुम्हें ,यही उतरो , यही उतरो। मैं बहुत घबरा गई और पास में दुकान पर कांच के शटर लगे हुए थे तो मैंने उस कांच पर हाथ से तेज तेज मारना चालू कर दिया ।आवाज सुनकर वहां बैठा हुआ गार्ड आया । मैंने उससे कहा कि मुझे फोन करना है मैंने तिवारी जी का फोन लगाया तो not reachable आने लग गया। अब मैं याद करूं तो मुझे और कोई भी फोन नंबर याद नहीं आ रहा था और मेरे हाथ पैर फूल गए। याद इसलिए नहीं आ रहा था क्योंकि हर नंबर मैंने मोबाइल में सेव कर रखे हैं जब भी जरूरत पड़ती है तो तुरंत मोबाइल में ही डायल कर लेते हैं ।नींद एकदम खुल गई ।हम मोबाइल के वास्तव में इतने आदी हो गए हैं कि हम कोई भी नंबर याद ही नहीं रखते हैं ।सुबह उठते ही मैंने सबसे पहले दो नंबर याद किए एक तो भैया का और एक बड़े भाई साहब का और बच्चों को भी याद करवा दिए इसलिए आप लोगों से भी रिक्वेस्ट है की प्लीज 5 नंबर तो याद कर ले पता नहीं कब इमरजेंसी में जरूरत पड़ जाए।