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अंतर मन मैं चल रहे द्वंद को स्महालू कैसे सागर मैं उठती लहरों को सवारू कैसे कोई और होता सामने तो बात और थी सामना मेरा मुझसे ही मैं हारी कैसे
उड़ना चाहूं उड़ ना पाऊं ,कोई पंख लगा दे मुझे एक - एक पल मैं सदियां जीलूं कोई मुझसे मिला दे मुझे मैं आसमा का टूटा तारा आ ज़मी पर गिरा हूं फिर जुड़ जाऊं पाऊं आसमां तारा बना दे मुझे कोई मुझसे मिल
safar uhi chalta rahe rasta bhale hi badalta rhe ab nikla hoon raston par thokar to lagi hi mujhe haa aj nhi par kal manzil to milegi hi mujhe mana muskil hai safar chalte rhna thoda kathin hai
छोटी छोटी बातें अक्सर खुश कर देती हैं मुझे हाँ मुझे हंसना अच्छा लगता है । तालाब में पत्थर फेंकना ठंडी घास पर नंगे पांव चलना लहरों को सुनना हाँ मुझे अच्छा लगता है । यूँही चलते जाना तारों को देखना य