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शिक्षक का फर्ज व कर्तव्य

23 सितम्बर 2017

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बड़े हर्ष का बिषय है कि आज हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में एक उच्च शिखर पर पहुंच गया है ,और नई नई शिक्षा तकनीक द्वारा

शिक्षा सिखाई जा रही है मगर कही न कही ये हमारी कड़ी मेहनत व लगन का नतीजा है एवं शिक्षा के प्रति हमारी

रूचि व विद्यालय के प्रति हमारे समर्पण के भाव के कारण है और इसी कारण हम और हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में

एक उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए अग्रसर है

हमें आशा है तथा विश्वास की ज्योति हमारे सीने में कही ना कही जल रही है जिसके कारण हम ज्ञान की ज्योति जला रहे है

और शिक्षा के क्षेत्र में हमारा अमूल्य समय देते हुए तथा फर्ज व कर्त्तव्य का निर्वहन करते हुए शिक्षा के प्रति समर्पित है,लेकिन

कभी कभार कही न कही कई कारण बस या परिस्तिथी बस विकट समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैजिसके कारण हमारे

आत्मविश्वास व सम्मान को ठेस पहुँचती है और मन विचलित हो जाता है जिस के कारण सुखद घटनाएं दुःखदव

दुखद घटनाएं सुखदप्रतीत होने लगती है लेकिन हम उनका सामना मकड़ी के आत्मविश्वास की तरह आत्मविश्वासी

होकर करते है और हम सभी का उस समय एक ही लक्ष्य व उद्देश्य होता है शिक्षा

हर शिक्षक की यह सोच होती है की में शिक्षा के प्रति,बच्चों के प्रति शाला परिवार के प्रति फर्ज व कर्त्तव्य का निर्वहन

करते हुए संर्पित रहता हूँ क्योकि हर शिक्षक को ज्ञात होता है की शिक्षक दीपक की तरह चहुँमुखी प्रकाश व उजाला

करता हैऔर बच्चों व विद्यालय के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करता है

आज हमारा देश फिर से गुलामी की जंजीरो में जकड़े जाने की कगार पर खड़ा

है पुरातनकाल में हमारा देश संस्कृति व सभ्यता का निर्माता मन जाता था और हमारे देश के लोगो में संस्कार सम्मान

,व सस्कृति के भाव कूट कूट कर भरे हुए थे ,लेकिन सोचो क्या आज लोगो में ऐसे भाव दिखाई देते है नहीं ऐसा क्यों

आज हमारे देश में बेरोजगारी, अशिक्षा,भुखमरी, चोरी चमारी, वालबिवाह ,दहेज़, भ्रष्टाचार,

नक्सलबाद ,आतंकवाद जैसी अनेकानेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है क्या आपने इसका कारन व् उपाय सोचा नहीं क्या करना है

सबकी यही सोच है अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता अरे भाई आज कल तो अपनी माँ को भी लोग बेच देते है

हमारे वेदो में लिखा है की भगवन कृष्ण ने गोमाता की सेवा की और गोमाता की रक्षा के लिए गोवर्धन उठाया लेकिन क्या आज

वो सब देखने के मिल रहा है नहीं अरे संभल जाओ भाई नहीं तो मारे जाओगे खेर छोडो हम शिक्षक बंधू इस समस्या का सामना

करेंगे यह भी हमारा फर्ज व कर्तव्य ही तो है और हमारी अग्नि परीक्षा

में आत्मविश्वास के साथ कहता हूँ कि आज हमारे भारत बर्ष में सिर्फ मात्र एक ही ऐसा महँ व्यक्ति है जो इस कार्य को कर सकता है

और जो पुनः भारत बर्ष का निर्माण कर सकता है और हमारी संस्कृति ,सभ्यता व सम्मान को बचा सकता है और सभी समस्याओं से लड़ने, जूझने,निपटने, तथा सामना करने कि ताकत रखता है और वो है शिक्षक

मेरे प्रिय शिक्षक भाइयो मेरा तो बस यही कहना है की हम और हमारा परिवार अपने फर्ज व कर्तव्य का निर्वहन करते हुए इन समस्याओ का और इस लड़ाई का सामना एक साथ मिलकर करे और देश के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करे

(गुरु ब्रम्हा गुरु बिष्नु गुरु देवो महेश्वरः ,गुरुर साक्षात् परब्रमा तस्मै श्री गुरवे नमः)

आपका अपना कृष्णकांत गुर्जर धनोरा तह गाडरवारा (म.प्र )

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