निःशुल्क
रात अपने चरम पर थी सारी दुनिया रात की खामोशी मे खुद को मिलाकर नींद के आगोश मे सिमटी हुई खायबो की चादर बुन रही थी पर कही दूर कोई ऐसा व्यक्ति भी था जिसे इस रात का सन्नाटा एक अजगर की फुसकर जैसे महसूस हो