सीमा 45 साल की उम्र में आज पहली बार अकेले किसी सफर में निकली है।प्लेटफार्म पर बैठी सीमा ट्रेन का इंतजार कर रही थी।नियत समय पर ट्रेन आ गयी और सीमा ट्रेन में बैठ गयी।पहली बार अकेले निकलने पर सीमा के मन मे थोड़ा डर भी था।
उसने अपनी सीट के नीचे सामान रखा और थकी हुई होने की वजह से मुँह ढककर सीट पर लेट गयी।जैसे ही ट्रेन चली उसी के हमउम्र व्यक्ति ने बड़ी ही शालीनता से कहा "एक्सक्यूज मी मैडम ऊपर वाली बर्थ मेरी है तो क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ?"
सीमा ने जैसे ही आवाज सुनी उसे वो आवाज बहुत जानी पहचानी लगी। उसने ऊपर देखा तो ये आवाज पुनीत की थी।पुनीत जिससे उसकी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी पर उसके अच्छे स्वभाव की वजह से वो सीमा का एक ऐसा दोस्त बन गया जो उसके सुख-दुःख, खुशी-गम हर मुश्किल में साथ होता था।
वो दोनों भले ही एक दूसरे से सैंकड़ो मील दूरी पर रहते थे,भले ही एक दूसरे से कभी मिले नही पर ऐसा लगता जैसे जनम जनम से एक दूसरे को जानते हो।
वो बस एकटक उसे देखती रही।
"माफ कीजिये,मैने आपसे कुछ रिक्वेस्ट की है।"
आवाज सुनकर सीमा जैसे होश में आई हो।वो मुँह से दुप्पटा हटाते हुए बैठी होती है।और बोलती है जरूर जरूर।
सीमा को देखकर पुनीत भी चकित रह जाता है।"अरे सीमा तुम!!रोज बात करते है पर तुमने बताया ही नही......"
"अरे!! रोज कहाँ पिछले 4 दिन से हमारी बात ही कहाँ हुई....."
अरे..अरे!! यहाँ भी गुस्सा!!रुको सांस तो लेने दो....और बैठूं या खड़े खड़े ही बातें करनी है....."
सीमा माथे पर चपत लगाते हुए बोलती है "सॉरी सॉरी आओ बैठो।"
मुस्कुराते हुए पुनीत बैठ जाता है।और इस अचानक से मिले सुहाने सफर का दोनों ही लुफ्त उठाते है।
दोनों जी भर कर एक दूसरे से बातें करते हुए बहुत खुश होते है और उस एक दिन के सफर को जिंदगी भर के लिए याद रखते है।