सुजीत झा
8 अप्रैल, 1971 को मधुबनी बिहार में जन्मे सुजीत झा माता लक्ष्मी देवी और पिता भैरब झा के सबसे बड़े संतान हैं। उनका गांव मिथिला का बहुत ही निविष्ट गांव है – पिन्डारूछ। इनकी शिक्षा- दीक्षा, इंटर सेंट जेवियर कॉलेज , राँची , पुनः हिंदू कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक , तत्पश्चात इन्होंने आइ एम टी ग़ाज़ियाबाद से एम बी ए किया । सुजीत झा बहुत ही सौम्य प्रकृति के और हंसमुख इंसान हैं। लिखने-पढ़ने में उनकी रूचि बालपन से ही रही है। कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में दर्शन , शिक्षा एवम् धर्म पर उनके लेख छपते रहे हैं । मैथिली साहित्य एवं संस्कृति में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाने की कोशिश की है और उतरोत्तर उनकी लेखन शैली समृद्ध होती गई है। इस संकलन से पूर्व लिखे संकलन ‘आओ जीना जीना खेलें ‘ मील का पत्थर साबित हुई, जिसका अंग्रेज़ी , मलयालम एवं तमिल में भी अनुवाद हो रहा है । यह तो तय है कि जो लिखा बहुत ही सुकून और जीवन के अनुभव के साथ लिखा है। हाँ, लिखने की चाहत है, इसलिए दूसरी कविता-गजल का संग्रह ‘चाँद पर रंगोली ‘ तैयार है। जीवन की सार्थकता और सकारात्मक पहलुओं को लेकर यह संग्रह चलता है और जीवन के कुछ अनबुने-अनसुने गीतों को गाता है, जीवन के साथ खेलता चलता है। गिरता है, सम्हलता है, जीता है। उनके खुशमिजाज जीवन की प्रेरणा है, इन दो ग़ज़लों के बोल, जो इस प्रकार हैं – ख़ैरात में मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ग़ालिब , मैं अपने दुखों में रहता हूँ नवाबों की तरह ।या फिर ज़ौन आलिया की - ज़िंदगी किस तरह बसर होगी, दिल नहीं लग रहा मुहब्बत में अब । इन दो ग़ज़लों के संपूर्ण भाव लेकर वे आगे बढ़ते हैं। और अपने अनुभव के आकाश पर कुछ चित्र उकेर देते हैं, जो कविताएं और गजलों की शक्ल में हमारे सामने नमूदार होती है। सम्पर्क 701 , शिवम् रेज़िडेन्सी गार्डेन मौर्य पथ, ख़ाजपुरा , पटना -14 मोबाइल
चाँद पर रँगोली
वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस
चाँद पर रँगोली
वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस