वस्तुतः यह सफर मिथिला के अधवारा नदी से शुरू हो कर कर्नाटक के कृष्णा तट के बसावना बागेवाड़ी में विश्राम तक की भावनाओं का मिश्रण है। इस सफ़रनामा के कई दास्तानों के साथ आपको भी चाँद का सफर तय करना है, जहाँ हम सब मिल कर रंगोली बनाएँगे। एक ऐसा रंगोली जिस में गीत होंगे, संगीत होंगे, चित्र होगा, शिल्प होंगे लेकिन रंग भरने की दवात आपकी अपनी होगी जिसे मैने कायनात से छिपा रखा है सिर्फ़ आपके लिए। फिर चलिए मेरे संग, भरते हैं अपना-अपना रंग और बनाते हैं चाँद पर रंगोली
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