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मै एक विद्यार्थी हूँ | मुझे हिन्दी से सम्बन्धित लेख बहुत पसन्द है|

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मेरा उन लोगों से अनुरोध है जो किसानों की मदद के बजाए उनका सहारा लेकर राजनीति कर रहे है प्लीज ऐसा न करें किसान बहुत टूट गया है आज उसके बच्चे भूँखे है जो हमारे बच्चों का पेट भरता है

24 अप्रैल 2015
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वाह इन्सानियत

24 अप्रैल 2015
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एक किसान सब के सामने फाँसी पर लटक जाता है  कोई उसको बचाने नही आता वहाँ पुलिस के साथ साथ मीडिया के लोग व अन्य लोग खङे थे और आज जब कोई माँफी माँग रहा है जो निर्दोश है  वह नही चाहता कि किसी किसान की मौत पर कोई राजनीति हो तो  अन्य उसकी इस सहानभूति पर भी राजनीति कर रहे है  वाह इन्सानियत

जरुरी इन्टरनेट वेबसाइट

20 अप्रैल 2015
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ट्रेन की स्थिति पता करने के लिए google page पे www.spotutrain.com किसी सरकारी रिजल्ट के लिए www.sarkariresult.com फ्री वीडियो के लिए www.vuclip.com फ्री आडियो गीत के लिए www.koolwap.com फ्री अप्लीकेशन for mobile android and java ] www.phonkey.com, www.wap.com फ्री लैपटाप अप्लीकेशन के लिए www.softonic.com अन्य के लिए पूछे

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20 अप्रैल 2015
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इतने बदसूरत है फिर भी दर्पण देख रहे है

14 अप्रैल 2015
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एक बार सुकारात सुबह के समय दर्पण देख रहे थे ऐसा वह लगभग रोज करते थे  ऐसा देखकर उनका एक शिश्य पीछे से मुसकरा रहा था कि सुकारात इतने बदसूरत है फिर भी दर्पण देख रहे है  सुकारात ने उसे मुसकराते देखा तो पूँछा क्या बात है  उसने कहा कुछ नही  तब सुकारात ने कहा मै दर्पण इस लिए देखता हूँ  कि और कितने अच्छे का

हम लोग कार के बिना रह सकते है फिर भी कार कम्पनियाँ अमीर है हम मोबाइल के बिना रह सकते है फिर भी मोबाइल कम्पनियाँ अमीर है लेकिन दुनियाँ मे कोई भी भोजन के बिना नही रह सकता फिर भी किसान गरीब है

14 अप्रैल 2015
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अपने लिए तो सभी जीते हैं ,इस जहाँ मे हो जिन्दगी का मकसद औरों के काम आना

14 अप्रैल 2015
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फैजाबाद के एक किसान के फसल नुकसान का मुवावजा 100-100 रु के 8 चेक है

12 अप्रैल 2015
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हमारी सरकारें वादे ज्यादा काम कम करती है

12 अप्रैल 2015
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पाँच सच  1- हमारी सरकारें वादे ज्यादा काम कम करती है 2- लोगो का वोट जातिवादिता तथा धर्म के नाम पर भङका कर वोट लेती है 3- ये अपना अधिकतम समय पिछली सरकार की आलोचना करने मे लगाती है 4-हम गलत जानते हुए भी पार्टी का चश्मा लगाकर उसकी तारीफ करते है 5-आप सभी यह पढ़ने के बाद भी अपनी आदतें नही बदलेंगे

अभी अन्नदाता का दर्द कम नही हुआ था कि आज फिर से आसमान मेँ बादलों ने डेरा जमा लिया है अन्नदाता का कलेजा फिर से तेज धङकने लगा है क्योंकि उसकी साल भर की कमाई खेतों मे पङी है लेकिन यही बादल कुछ लोगों को सुहाना लग रहा होगा सरकार किसानो को मुवावजे के नाम पर धोका दे रही है

12 अप्रैल 2015
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अन्नदाता

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