shabd-logo

common.aboutWriter

http://www.sumitpratapsingh.com/ पर आइए और मेरा पूरा परिचय पाइए

no-certificate
common.noAwardFound

common.kelekh

व्यंग्य : देवी का अट्टहास

29 जुलाई 2016
2
0

   देवी अत्यधिक क्रोध में हैं। अपने महल में चहल-कदमी करते हुए वो कुछ बुदबुदा रही हैं। ध्यान से सुनने पर ज्ञात होता है कि वो 'तिलक, तराजू और तलवार/इनके मारो जूते चार' नामक अपने साम्राज्य के पवित्र मन्त्र का बेचैनी से जाप कर रही हैं। उनके हाथ में टंगे भारी-भरकम बटुए में पाँच पैसे, दस पैसे, बीस पैसे, च

बिलों वाले लोग

4 जुलाई 2016
1
0

उन्होंने अपने बिलों के भीतर से झाँका और वहीं से बोले, "अभी हमारे निकलने का वक़्त नहीं आया है। देश में कहीं असहिष्णुता की घटना घटने दो। तब हम सभी बाहर निकलेंगे और पूरे बैंड-बाजे और दम-ख़म के साथ निकलेंगे।"

एक देशप्रेमी महाराजा की निशानी

30 जून 2016
6
2

जब अंग्रेजों ने नई दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया तो उससे पहले राजधानी में वायसराय हाउस (वर्तमान में राष्ट्रपति भवन) में स्थित दिल्ली दरबार व अन्य इमारतों का निर्माण करवाया गया, जिनमें इस्तेमाल होनेवाले पत्थरों को उपलब्ध करवाया था जयपुर के महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने। वायसराय हाउस के दिल्ली दरबार में

माफ़ कीजिएगा पिता जी (लघु व्यंग्य)

19 जून 2016
2
0

   आज मैं रोज की तरह जल्दी नहीं उठ पाया। मजबूरी थी। रात को देर रात ड्यूटी करके लौटा तो देर तक सोना लाजिमी था। मतलब कि मैं अपनी नींद पूरी कर रहा था ताकि ड्यूटी पर न ऊँघूं और कर्मठता से अपने कर्तव्य का पालन कर सकूँ। जब मैं देरी से उठा तो मैंने रोज की तरह अपने माता-पिता के चरण छुए। हर बार की तरह माता-प

व्यंग्य : कलियुग का तीर्थ

18 जून 2016
3
1

   तीर्थयात्रा आरम्भ हो चुकी है। सभी तीर्थयात्री अपना लोटा-बाल्टी और सामान-सट्टा लेकर तीर्थयात्रा को निकल चुके हैं। अन्य पारंपरिक तीर्थों से इतर यह तीर्थ कलियुग में विशेष स्थान रखता है। सत्ता को पाने के लिए सत्ताप्रेमी माननीय महोदयों के लिए यह दंडवत होने के लिए अतिप्रिय स्थल है। हम जैसे कमअक्ल प्राण

वो सिपाही (लघुकथा)

9 जून 2016
3
0

    कार में जा रहे प्रेमी युगल में से प्रेमिका ने जब जून की तपती दोपहर में सड़क पर पिकेट पर खड़े सिपाही को देखा तो प्रेमी से कहा, "डार्लिंग देखो तो कितनी गर्मी हो रही है और ये सिपाही इस गर्मी में भी रोड पर खड़ा हुआ है।""डिअर ये अपनी ड्यूटी कर रहा है।" प्रेमी ने समझाया।प्रेमिका बोली, "वो तो ठीक है। पर य

लघु व्यंग्य : तलाश

1 जून 2016
3
0

    गोवंश उदास हो तलाश कर रहा है असहिष्णुता का ढिंढोरा पीटनेवाले उन महानुभावों को जो पिछले दिनों कुछ अधिक ही सक्रिय रहे। वे खूब चीखे, चिल्लाए और विधवा विलाप कर अपनी छातियाँ पीटते हुए असहिष्णुता मन्त्र का जाप करते रहे। उन्होंने अपना सारा दमखम लगा दिया सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने में। अन्याय से

पुस्तक समीक्षा : सावधान! अब पुलिस मंच पर भी है

25 मई 2016
3
0

‘सावधान! पुलिस मंच पर है’  यह सुनकर पाठकगण डरें नहीं, क्योंकि यह मात्र एक पुस्तक का नाम है,  जो कि व्यंग्य कविताओं का संग्रह है और इसके रचनाकार हैं युवा कवि और लेखक सुमित प्रताप सिंह। इस कविता संग्रह में कटाक्ष करती हुईं  कुछ कविताएँ खड़ी बोली हिन्दी की हैं और कुछ कविताएँ  ग्रामीण भाषा के लबादे में

लघुकथा : गधा कौन

22 मई 2016
6
1

भूरा जैसे ही जज के सामने पहुंचा, फफककर रोने लगा। जज ने उससे पूछा "क्या बात हुई? क्यों रो रहे हो?"भूरा बोला,"माई बाप हमने चोरी नही की है। इन पुलिस वालों ने हम पर झूठा इल्जाम लगाकर हमें फंसा दिया है।जज ने कहा, "अच्छा यदि तुमने चोरी नही की तो उस जगह पर देर रात क्या कर रहे थे।"भूरा ने सुबकते हुए बोल

लघु : ठुल्ले

17 मई 2016
7
2

  पान की दुकान पर खड़े दो शिक्षकों की नज़र काफी देर से कड़ी धूप में ट्रैफिक चला रहे दो पुलिसवालों पर थी।"यार इन ठुल्लों की जिंदगी भी क्या है? जहाँ दुनिया इस कड़ी दुपहरी में कहीं न कहीं छाँव में सुस्ता रही है, वहीं एक ये लोग हैं जो रोड पर अपनी ऐसी-तैसी करवा रहे हैं।" पहले शिक्षक ने पान की पीक थूकते हुए क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए