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स्वर्गीय श्री राजीव भाई दीक्षित के व्याख्यानों के अंश-

5 दिसम्बर 2015

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स्वर्गीय श्री राजीव भाई दीक्षित के व्याख्यानों के अंश- भारत के कानून- भारत में 1857 के पहले ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन हुआ करता था वो अग्रेजी सरकार का सीधा शासन नहीं था | 1857 में एक क्रांति हुई जिसमें इस देश में मौजूद 99% अंग्रेजों को भारत के लोगों ने चुन चुन के मार डाला था और 1% इसिलए बच गए क्योंकि उन्होंने अपने को बचाने के लिए अपने शरीर को काला रंग लिया था | लोग इतने गुस्से में थे कि उन्हें जहाँ अंग्रेजों के होने की भनक लगती थी तो वहां पहुँच के वो उन्हें काट डालते थे | हमारे देश के इतिहास की किताबों में उस को सिपाही विद्रोह के नाम से पढाया जाता है | Mutiny और Revolution में अंतर होता है लेकिन इस क्रांति को विद्रोह के नाम से ही पढाया गया हमारे इतिहास में | 1857 की गर्मी में मेरठ से शुरू हुई ये क्रांति जिसे सैनिकों ने शुरू किया था, लेकिन एक आम आदमी का आन्दोलन बन गया और इसकी आग पुरे देश में फैली और 1 सितम्बर तक पूरा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया था | भारत अंग्रेजों और अंग्रेजी अत्याचार से पूरी तरह मुक्त हो गया था| लेकिन नवम्बर 1857 में इस देश के कुछ गद्दार रजवाड़ों ने अंग्रजों को वापस बुलाया और उन्हें इस देश में पुन: स्थापित करने में हर तरह से योगदान दिया | धन बल, सैनिक बल, खुफिया जानकारी, जो भी सुविधा हो सकती थी उन्होंने दिया और उन्हें इस देश में पुनःस्थापित किया | और आप इस देश का दुभार्ग्य दैखिये की वो रजवाड़े आज भी भारत की राजनीति में सक्रिय हैं | अंग्रेज जब वापस आये तो उन्होंने क्रांति के उद्गम स्थल बिठूर (जो कानपुर के नजदीक है) पहुँच कर सभी 24000 लोगों का मार दिया चाहे वो नवजात हो या मरणासन्न | बिठूर के ही नाना जी पेशवा थे और इस क्रांति की सारी योजना यहीं बनी थी इसिलए अंग्रेजों ने ये बदला लिया था | उसके बाद उन्होंने अपनी सत्ता को भारत में पुनःस्थापित किया और जैसे एक सरकार के लिए जरूरी होता है वैसे ही उन्होंने कानून बनाना शुरू किया | अंग्रेजों ने कानून तो 1840 से ही बनाना शुरू किया था और मोटे तौर पर उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन 1857 से उन्होंने भारत के लिए ऐसे-ऐसे कानून बनाये जो एक सरकार के शासन करने के लिए जरूरी होता है | आप देखेंगे की हमारे यहाँ जितने कानून हैं वो सब के सब 1857 से लेकर 1946 तक के हैं | 1840 तक का भारत जो था उसका विश्व व्यापार में हिस्सा 33% था, दुनिया के कुल उत्पादन का 43% भारत में पैदा होता था और दुनिया के कुल कमाई में भारत का हिस्सा 27% था | ये अंग्रेजों को बहुत खटकती थी, इसिलए आधिकारिक तौर पर भारत को लुटने के लिए अंग्रेजों ने कुछ कानून बनाये थे और वो कानून अंग्रेजों के संसद में बहस के बाद तैयार हुई थी, उस बहस में ये तय हुआ की "भारत में होने वाले उत्पादन पर टैक्स लगा दिया जाये क्योंकि सारी दुनिया में सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है और ऐसा हम करते हैं तो हमें टैक्स के रूप में बहुत पैसा मिलेगा" | तो अंग्रेजों ने सबसे पहला टैक्स बनाया Central Excise Duty Act और टैक्स तय किया गया 350% मतलब 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया Excise Duty देना होगा | फिर अंग्रेजों ने समान के बेचने पर Sales Tax लगाया और वो तय किया गया 120% मतलब 100 रुपया का माल बेचो तो 120 रुपया CST दो | फिर एक और टैक्स आया Income Tax और वो था 97% मतलब 100 रुपया कमाया तो 97 रुपया अंग्रेजों को दे दो | ऐसे ही Road Tax, Toll Tax, Municipal Corporation tax, Octroi, House Tax, Property Tax लगाया और ऐसे करते-करते 23 प्रकार का टैक्स लगाया अंग्रेजों ने और खूब लुटा इस देश को | 1840 से लेकर 1947 तक टैक्स लगाकर अग्रेजों ने जो भारत को लुटा उसके सारे रिकार्ड बताते हैं कि करीब 300 लाख करोड़ रुपया लूटा अंग्रेजों ने इस देश से | तो भारत की जो गरीबी आयी है वो लुट के कारण से आयी गरीबी है| विश्व व्यापार में जो हमारी हिस्सेदारी उस समय 33% थी वो घटकर 5% रह गयी, हमारे कारखाने बंद हो गए, लोगों ने खेतों में काम करना बंद कर दिया, हमारे मजदूर बेरोजगार हो गए | इस तरीके से बेरोजगारी पैदा हुई, गरीबी-बेरोजगारी से भुखमरी पैदा हुई और आपने पढ़ा होगा की हमारे देश में उस समय कई अकाल पड़े, ये अकाल प्राकृतिक नहीं था बिल्क अंग्रेजों के ख़राब कानून से पैदा हुए अकाल थे, और इन कानूनों की वजह से 1840 से लेकर 1947 तक इस देश में साढ़े चार करोड़ लोग भूख से मरे | तो हमारी गरीबी का कारण ऐतिहािसक है कोईप्राकृतिक,आध्यात्मिक या सामाजिक कारण नहीं है | 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने भारत के ही कुछ गद्दार राजाओं के सहयोग से अपनी खोयीसत्ता को पुनर्स्थापित किया और 1 नवम्बर 1858 को भारत में प्रकाशित होने वाले कुछ अंग्रेजी अख़बारों में ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी का ये संदेश छपा जिसमे कहा गया था "आज से भारत में कंपनी (ईस्ट इंडिया कंपनी) की सरकार नहीं बिल्क कानून की सरकार की स्थापना होगी"| लेकिन वो कानून कौन बनाएगा ? तो वो कानून अंग्रेजों की संसद बनाएगी, ब्रिटिश पार्लियामेंट बनाएगी और उसके हिसाब से भारत को चलाया जायेगा | अब ब्रिटिश पार्लियामेंट में बहस इस बात को लेकर हुई कि"कानून ऐसे बनाये जाने चािहए की भारतवासी कभी भी दुबारा खड़े न हो सकें और अंग्रेजों के खिलाफ बगावत न कर सकें " | इस तरह अंग्रेजों ने हमारे देश में कानून की सरकार बनाई और हमारे देश में अंग्रेजों ने 34735 कानून बनाये शासन करने के लिए, सब का जिक्र करना तो मुश्किल है लेकिन कुछ मुख्य कानूनों के बारे में गले अंक में जिक्र होगा। जय हिन्द। वन्देमातरम्। - राजीव भाई के व्याख्यानों से लिया गया एक अंश। #राजीव_दीक्षित #rajiv_dixit ‪#‎मैंराजीवभाईकासमर्थकहूँ ‪#‎ISupportRajivDixit निवेदक- राजीव दीक्षित स्वदेशी संस्था, गुङगांव। संपर्क सूत्र-९४१६०६९६८३

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