मैं विज्ञान विषय से स्नातक हूँ हिंदी भाषा में लेखन मेरी रूचि है में अपनी लेखनी से आय के साधन में तब्दील करना चाहती हूँ मैं एक गृह निर्मात्री हूँ
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प्रेम का रसायन शाश्त्र मैंने बचपन में ही रट लिया था .कभी कभी तो प्रेम कोलाहल का कोमल आघात, अत्यंत नाजुक स्वप्न से वास्तविकता की और चल पारी है. प्रेम की प्रातः बेला के प्रकाश की रंग छटाएं भी