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तलाश

5 सितम्बर 2021

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तलाश

ना मानी किसी की ,ना सुनी किसी की...

जो कहता मेरा दिल गया ,लिखती वही बात दिल की गयी |

....... 

बहती नदी की धारा हूंँ, ना ठहरे वो किनारा हूंँ...

मिलने को खुद से निकली हूंँ, तलाश में मैं खुद अपनी हूंँ |

वक्त के साथ चलती हूंँ, वक्त से दोस्ती रखती हूंँ...

बेक़दर इस दुनिया में ,बस वक्त की क़दर करती हूंँ |

भरोसा नहीं किसी पर अब, सपने देखने से डरती हूंँ...

टूटी हूंँ इस कदर अब, टूटे-फूटे शब्द लिखती हूंँ |

ख़यालात फिर भी कम नहीं मेरे, खुद पर भरोसा करती हूंँ, 

बड़ी मेहनत से बनाया है खुद को, आईने में देखकर नाज़ करती हूंँ |

मुकद्दर में लिखा बदलना है मुझको, अपने मुकद्दर से ही लड़ती हूंँ...

दुनियाँ जहान के ढकोसलों से, मैं खुद को दूर ही रखती हूंँ|

है आस्था और विश्वास भी मुझे, याद भगवान को भी करती हूंँ...

लेकिन जिनसे है अस्तित्व मेरा, पहले प्रणाम उनको करती हूंँ |

तमन्ना गोयल

लालसोट (दौसा, राजस्थान) 

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