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तथाकथित बुद्धजीवी और स्त्री सशक्तीकरण

23 अगस्त 2021

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मैं अपने गांव का सबसे पढ़ा लिखा लड़का हूं , अच्छी सरकारी नौकरी है , शहर में घर भी है जो मेरे पिता जी ने बनवाई है, और मैं 10 लाख सालाना तक कमा भी लेता हूं।

गांव और मेरे समाज के लोग अपने बेटे को मुझ जैसा बनने की सलाह देते है । और मुझे बुद्धजीवी कहते है , जो असल में मै मेरी सोशल मीडिया और अखबार में लिखे जाने वाले विचारों को पढ़ कर उनको लगता है ।

मेरी कुछ साल पहले शादी हुई खूब धूमधाम से शादी की पूरी पंचायत में इस बात कि चर्चा थी , और होती भी क्यों नहीं दहेज में बहुत सारे रुपए , चार चक्के की गाड़ी , सोने जेवरात और संसाधन के सभी चीजें मेरे पत्नी के पिता यानी मेरे ससुर ने मुझे दिया । और वो उनकी पूरी जीवन के कमाई से भी अधिक का था ।

मै पढ़ा लिखा बुद्धजीवी शादी के बाद पत्नी को महिला सशक्तिकरण  के कई पाठ पढ़ाए , लड़का और लड़की के गैर बराबरी के किस्से सुनाए । भाई बहन के बराबरी के लेख पढ़ाए , पिता के संपति में पुत्र के बराबर पुत्री का अधिकार के मार्ग दिखाएं ।

मेरी पत्नी अपनी हक की लड़ाई लडी और हिस्सा ले आई  अब मै छोटे शहर में नहीं रहता बड़े महानगर में घर ले लिया हूं , मेरे पिता जी अब भी वही छोटे शहर के पुराने घर में है और उनका फोन आया था बता रहें थे मेरी बहन अपना हिस्सा लेने आई है , मै विवश हूं क्या करूं उसकी ( मेरी बहन ) शादी के वक्त मैंने जमीन और घर गिरवी रख दिया ताकि उसकी शादी पढ़े लिखे और सरकारी नौकरी वाले लड़के से हो अगर ये जमीन और घर तुम दोनों में बाट के उसका हिस्सा दे भी देता हूं तो ये कर्ज कैसे भरूंगा ( रोते हुए ) । अब मेरे चिंतन में एक तरह मेरी पत्नी एवं उसके पिता और एक तरफ मेरी बहन एवं मेरे पिता और बीच में मै कल के अखबार के लिए महिला सशक्तिकरण पर लेख लिखने की सोच रहा था ।

ताकि कल जब ये छप कर आए तो मेरे गांव मेरे पंचायत के लोग अपने बच्चे को बोल सकें " इसके जैसा बनो " ।

रजनीश तिवारी

दिल्ली विश्वविद्यालय

( एक छोटी सी लेख महिला सशक्तिकरण के अधीन )

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