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तुम देखना

6 अगस्त 2022

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मुझे कब चुप रहना है कब बोलना है,

मुझसे अधिक तुम याद रखना!

जहाँ मैं मौन हूँ, धीमी पड़े मेरी आवाज़,

उन अंतरालों को तुम याद रखना!


कहाँ रुदन के लिए जगह छोड़नी है,

उन सिसकियों को तुम याद ऱखना!

 कहाँ हंसी के लिए महफ़िल सजानी है,

उन किलकारियों को तुम याद ऱखना!


कभी भूल जाऊँ बीच में मेरा होना,

तो मेरा अस्तित्व है ये तुम याद ऱखना!

कभी रूह मेरी खामोश हो जड़ हो जाऊं मैं,

तो मैं मुझमें हूँ कि नहीं तुम याद ऱखना!

©® आराध्या अरु 

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