इंडिया संवाद ब्यूरो
इलाहाबाद : पहली बार न्याय पालिका को कार्यपालिका का काम भी करना पड़ रहा है। दिल्ली के प्रदूषण समस्या, यूपी लोक्ययुक्त को चुनने का मामला हो या खुद कांग्रेस के दौर में ब्लैक मनी पर SIT बनाने जब सरकारों ने इसे नजरंदाज किया तो सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को जमकर फटकार लगाई।
इलाहबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट को लिखा पत्र
इसी कड़ी में जब उत्तरप्रदेश की सरकार निश्चित समय तक लोकायुक्त नही चुन पायी तो सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त कर दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यूपी के राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उनकी सहमति के बिना रिटायर्ड जस्टिस वीरेंद्र सिंह को यूपी का लोकायुक्त नियुक्त किया गया है। जिससे पहली बात न्यायपालिका में टकराव की स्थित दिख रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने खुद चुन था यूपी का लोकायुक्त
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार किसी लोकायुक्त को खुद नियुक्त किया। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया। SC ने समय पर लोकायुक्त न चुनने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा सर्वोच्च अदालत के फैसले का पालन न किए जाने पर अफसोस जताया।