shabd-logo

common.aboutWriter

ज़िन्दगी को देखने का अपना नज़रिया...सही-गलत से परे जो घट रहा है उसे शब्द देने का प्रयास है...वाणभट्ट भाषाओँ की सीमा समाप्त हैं...कभी पञ्च मेल खिचड़ी थी अब खिचड़ी में देशी घी का तड़का है...और साथ चोखा भी है...पाठकों में विचारों को सहज रूप से परोसने के लिये सामान्य बोल-चाल की भाषा को हिन्दी मान लिया है...वैसे भी हिन्दी का ह्रदय विशाल है...वाणभट्ट का प्रयास है सम्वाद दिल से दिल तक...वाणभट्ट.ब्लागस्पाट.इन...पर पधारने का निवेदन है...

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

vaanbhatt

vaanbhatt

0 common.readCount
1 common.articles

निःशुल्क

निःशुल्क

किताब पढ़िए