ज़िन्दगी को देखने का अपना नज़रिया...सही-गलत से परे जो घट रहा है उसे शब्द देने का प्रयास है...वाणभट्ट भाषाओँ की सीमा समाप्त हैं...कभी पञ्च मेल खिचड़ी थी अब खिचड़ी में देशी घी का तड़का है...और साथ चोखा भी है...पाठकों में विचारों को सहज रूप से परोसने के लिये