कामुकता का ग़दर मचा, जिधर देखिये उधर त्वचा
इस शीर्षक का चयन तथा लेख की प्रेरणा आचार्य श्री धर्मेंद्र जी की जिस रचना से मिली उसकी चुनी हुई पंक्तिया भी आपके लिए प्रस्तुत है :कलयुग ने क्या खेल रचा, कामुकता का ग़दर मचा,विज्ञापन में सिर्फ त्वचा, गुण ज्ञापन में सिर्फ त्वचा,अखबारों में, बाज़ारों में, दूरदर्शन में सिर्फ त्वचा,कन्याओं से वृद्धाओं तक,