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विश्व को विनाश से बचाने का एकमात्र उपाय

5 दिसम्बर 2015

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वर्तमान में मानवता के तीव्र गति से होते पतन के कारण सम्पूर्ण विश्व ही विनाश के कगार पर पहुँच गया है। मनुष्य को पतित होने से रोकने के सारे उपाय, नियम व कानून बेअसर साबित हो रहे हैं. कारण यह है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति ही दोषपूर्ण है। शिक्षा पद्धति में बदलाव-सुधार किए बिना हम मानव जीवन की वास्तविकता को नहीं जान सकते और गलत दिशा की ओर बढ़ते रहेंगे। समस्त समस्याओं का समाधान एक सर्वश्रेष्ठ शिक्षा पद्धति से ही होगा, और वह शिक्षा पद्धति है - दोष रहित, सत्य प्रधान, सम्पूर्ण व सर्वोच्च “विद्यातत्त्वम् पद्धति” ।

विद्यातत्वम पद्धति इस संसार को संचालित करने का ब्रम्हाण्डिय विधान है जिसके अन्तर्गत परमाणु से लेकर परमेश्वर (Atom to Almighty) तक अर्थात संसार, शरीर, जीव, ईश्वर और परमेश्वर की वास्तविक जानकारी तथा शरीर एवं ब्रह्माण्ड के संचालन का विधान आता है। इस सिस्टम को चार श्रेणियों में बांटा गया है :
(1) शिक्षा Education (शरीर से लेकर संसार तक समस्त भौतिक विषयों-वस्तुओं की जानकारी का विधान) 
(2) स्वाध्याय Self Realization (शरीर में रहने वाले जीव-सेल्फ की जानकारी का विधान) 
(3) अध्यात्म Spiritualization (शरीर के संचालन हेतु जीव को जीवनी शक्ति देने वाली आत्मा-सोल की जानकारी का विधान)
(4) तत्त्वज्ञान Supreme KNOWLEDGE (परमात्मा-परमेश्वर-खुदा-गॉड-भगवान की जानकारी का विधान)

जब तक समाज में विद्यातत्त्वम् पद्धति लागू नहीं की जाएगी तब तक वर्तमान में फैले झूठ-चोरी-भ्रष्टाचार-भेदभाव-आतंकवाद-उग्रवाद-माओबाद, धर्म के नाम पर फैले आडम्बर-ढोंग-पाखण्ड को समूल समाप्त नहीं किया जाएगा तब तक सत्य-धर्म-न्याय-नीति-सदाचार-संयमी-अनुशासित-ईमान-खुशहाल वसुधैव कुटुम्बकम् समृद्धि से युक्त समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
विस्तृत जानकारी के लिए नीचे दिये गए लिंक को खोलें :-
http://bsbg.org/
----------------------जय प्रभु सदानन्द जी --------------------

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