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विवेक और आत्म ज्ञान के आभाव में शर्मशार होती इंसानियत

13 जनवरी 2023

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आज मानव अपना भौतिक और वैज्ञानिक विकास जीतनी ही तेजी से करा है , 

उतनी ही  तेजी से वह अपने वास्तविक और आध्यात्मिक विकास से दूर होता जा रहा है 

      आज मानव बाहरी ज्ञान के लिए जितना अधिक प्रयासरत है उतना ही अधिक अपने आत्मबोध के लिए शांत है 

       मनुष्य ने अपनी बौद्धिक  ज्ञान की पराकाष्टा  को प्राप्त कर लिया है  ,परन्तु उसने अपने विवेक को   सुषुप्त कर 

लिया है    

महान मनीषियों और धर्म के प्रणेताओ ने यह बार - बार उल्लेखित किया है की विवेक के बिना मनुष्य 

पशुवत है    

विवेक के आभाव में मनुष्य नीचता में गिरता जा रहा है और इंसानियत को शर्मशार कर रहा है 

आज के समय में कैसे छोटी - छोटी अबोध बालिकाएं तक  हैवानियत का शिकार हो रही है

क्योक विवेक के आभाव में   सही गलत     में अंतर करना नहीं आता  है            



                                                                                    

    





 

 

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