मैं पायल की झनकार नहीं लिखता हूँ,
मैं माथे की बिंदिया की बात नहीं लिखता हूँ,,
न लिखता हूँ श्रृंगारी भोगी भावों को,
मैं तो शहीद भगत, विस्मिल और अस्फाक उल्ला खां लिखता हूँ ।।
मैं नहीं लिखता अधर् के आकर्षण को,
न लिखता हूँ किसी के अंक में बीते पलों को,
न लिखता हूँ मैं प्रेम घुंघराली लटों का,
मैं तो केवल कलम से अपनी धानी चूनर लिखता हूँ ।।
मैं लिखता हूँ माँ पद्मिनि की पावन कथा को,
और आज़ादी की सन् 57 की स्वर्णिम महाभारत कथा को,
मैं लिखता हूँ कथा शहीदों के लहू बलिदान की,
और लिखता हूँ व्यथा में आज के हिंदुस्तान की ।।