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गुब्बारे वाला

6 जुलाई 2016

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एक आदमी गुब्बारे बेच कर जीवन-यापन करता था.  वह गाँव के आस-पास लगने वाली हाटों में गुब्बारे वाला जाता और गुब्बारे बेचता . बच्चों को लुभाने के लिए वह तरह-तरह के गुब्बारेरखता …लालपीले ,हरेनीले…. और जब कभी उसे लगता की बिक्री कम हो रही है वह झट से एक गुब्बारा हवा में छोड़ देताजिसे उड़ता देखकर बच्चे खुश हो जाते और गुब्बारे खरीदनेके लिए पहुँच जाते.

इसी तरह तरह एक दिन वह हाट में गुब्बारे बेच रहा था और बिक्री बढाने के लिए बीच-बीच में गुब्बारे उड़ा रहा थापास ही खड़ा एक छोटा बच्चा ये सब बड़ी जिज्ञासा के साथ देख रहा था .इस बार जैसे ही गुब्बारे वाले ने एक सफ़ेद गुब्बारा उड़ाया वह तुरंत उसके पास पहुंचा और मासूमियत से बोला, ” अगर आप ये काल वाला गुब्बारा छोड़ेंगेतो क्या वो भी ऊपर जाएगा ?”

गुब्बारा वाले ने थोड़े अचरज के साथ उसे देखा और बोला, ” हाँ  बिलकुल जाएगा.  बेटे ! गुब्बारे का ऊपर जाना  इस बात पर नहीं निर्भर करता है कि वो किस रंग का है बल्कि इसपर निर्भरकरता है कि उसके अन्दर क्या है .”

ठीक इसी तरह हम इंसानों के लिए भी ये बात लागु होती हैकोई अपनी जिंदगी में क्या हासिल करेगाये उसके बाहरी रंग-रूप पर नहीं निर्भर करता है , ये इस बात पर निर्भर करता है किउसके अन्दर क्या हैअंततहमारा रवैया हमारी ऊंचाई तय करता है .

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