यशोदा दिग्विजय अग्रवाल
common.booksInLang
common.articleInLang
बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है ,बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है ,बस पाठिका हूँ , पढ़ने में आनन्द आता है
yashodadigvijay4
प्यार इतना किया हमनेओंस की हर बूंद को छू कर देखा था कई बार कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई, तुम होते गए श्वेत श्याम मुझे पा लेने के बाद पता नहीं क्यों मैं रंगीन हो गईप्यार इतना किय
yashodadigvijay4
<p>प्यार इतना किया हमने</p><br><p>ओंस की हर बूंद को </p><p>छू कर देखा था कई बार </p><p>कच्चे प्यार की तरह </p><p>विलीन हो गई, </p><br><p>तुम होते गए श्वेत श्याम </p><p>मुझे पा लेने के बाद </p><p>पता नहीं क्यों मैं रंगीन हो गई</p><br><p>प्यार इतना किय
);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---