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यशोदा दिग्विजय अग्रवाल

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प्यार इतना किया हमनेओंस की हर बूंद को छू कर देखा था कई बार कच्चे प्यार की तरह विलीन हो गई, तुम होते गए श्वेत श्याम मुझे पा लेने के बाद पता नहीं क्यों मैं रंगीन हो गईप्यार इतना किया हमने कि तुम दिन से रात हो गए और ना जाने कब मेरी रातें दिन हो गई... - स्मृति आदित्य जोशी 'फाल्गुनी'  

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