ये भारत है यहां कश्मीर की बात कौन करे
लाशों से पटी घाटी, गोलियों में बीते बचपन की बात कौन करे
कौन करे बात उस बच्चे की मां के नंगे बदन की
राजू के बाप की उधड़ी लाश की बात कौन करे
दिल्ली वाले तो अपनी वाहवाही में व्यस्त हैं,
जो स्कूल आ दोबारा घर न पहुंची उस टीचर की बात कौन करे
एक बेटे ने मां से कहा कि जल्द आता हूं
इंतजार में तवे में आज भी पड़ी अधजली रोटी की बात कौन करे
कौन बात करे शहीदों के रोज आते शव की
हर रोज होती बेवा बेटियों और अनाथ बच्चों की बात कौन करे
दिल्ली वाले खुद सुरक्षा घेरे में मस्त हैं
असुरक्षित हो चुकी कश्मीर घाटी की बात कौन करे
जो कभी पृथ्वी की स्वर्ग हुआ करती थी,
उस नरक से बदतर खून से सनी झील की बात कौन करे
कौन बात करे केसर की क्यारी में छुपे बंदूक तमंचों की
हत्यारे यासीन और कराटे की बात कौन करे
किस गलती में मारे गए घाटी के हजारों मासूम
हर रोज इन सवालों के साथ दुनिया छोड़ जाने वालों की बात कौन करे
कौन बात करे सैनिक के कटे सिर की,
आरे से कटी उस मासूम के मांस के लूथड़ों की बात कौन करे
कौन बात करे कश्मीरियों के रोज होते पलायन की
अपने ही देश में शरणार्थी हो गए पंडितों की बात कौन करे
रामराज्य की बात तो बस सपना है
यहां सिर्फ जीते रहने देने की बात कौन करे.