जब भी सता के भूखे शेर
इन राजनीति के गलियारों में आएंगे ।
हे मेरे मजहब की जनता ये यूं ही आग लगाएंगे।
इनका ना कोई धर्म है ना कोई मजहब
ये सता की खातिर यो ही आप को बरगलाएंगे।
जब तक 6 वी पास इस देश को चलाएंगे
इस मजहब को कई सालो तक यो ही जलाएंगे।
जब भी सता के भूखे शेर
इन राजनीति के गलियारों में आएंगे ।
हे मेरे मजहब की जनता ये यूं ही आग लगाएंगे।
ये कभी हिन्दू तो कभी सिख बन जाएंगे
लेकिन हर बार हिन्दू मुस्लिम के नाम की आग लगाएंगे।
तुम लड़ोगे मरोगे आपस में धर्म और मजहब के नाम पर ।
और ये सता के भूखे शेर 5 साल तक राज करके चले जाएंगे ।
जब भी सता के भूखे शेर
इन राजनीति के गलियारों में आएंगे ।
हे मेरे मजहब की जनता ये यूं ही आग लगाएंगे।
ये सता के भूखे शेर जब भी सता में आएंगे।
दुम दबा कर यू ही 5 साल छुप जाएंगे।
लेकिन हे मेरे मजहब कि जनता ये सता के भूखे शेर
जब जब भी सता से बाहर हो जाएंगे
फिर कई सालो तक यू ही तांडव मचाएंगे।
जब भी सता के भूखे शेर
इन राजनीति के गलियारों में आएंगे ।
हे मेरे मजहब की जनता ये यूं ही आग लगाएंगे।
ये सता के भूखे शेर
जब जब भी इन राजनीति के गलियारों में आएंगे
कभी इस मिट्टी की कसम खाएंगे
तो कभी गाय को अपनी मां बताएंगे।
लेकिन ये बेशर्म कभी नहीं शर्माएंगे
हर बार नई आग लगाएंगे।
जब भी सता के भूखे शेर
इन राजनीति के गलियारों में आएंगे ।
हे मेरे मजहब की जनता ये यूं ही आग लगाएंगे।
जब जब भी ये सता के भूखे शेर मौका पाएंगे
सता की खातिर कभी राष्ट्रपति को अपना मोहरा बनाएंगे,
तो कभी राजभवन का फेक्स बंद करके सो जायेंगे।
हे मेरे मजहब कि जनता अब भी समय है तुम संभल जाना,
या तो तुम एक हो जाना ,नहीं तो फिर कई सालो तक पछताना।