खैर मैं ज्यादा कुछ कर नही सकता
बार बार मेरे दिल में अनेक खयाल आते हैं, लेकिन पता नही कुछ समय बाद अपने आप क्यों शांत हो जाते हैं। बार बार लिखने के लिये कलम उठाता हूं, लेकिन कलम भी कुछ लिखने से ही पता नही क्यों अपने आप रुक जाती है। मुझे आज तक इस इंसान की इंसानियत समझ में नही आई । मैं कई बार सोचता हूं कि इंसान से तो पशु पक्ष