आज का भजन
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भोला शिवा विष कंठधर
नाचत मगन कैलाश पर
पी कर धतूरा भांग रस
डमरू बजावत नाच कर
देखो धारा अब बह गयी
बारिश झमाझम हो रही
गंगा जटा जूट जाल से
लगता है जैसे खुल गयी
हर्षित शशि शिव भाल पर
विषधर नचे शिव ताल पर
गरजत बिजुरिया नाद कर
हर्षित मगन शिव गाल पर
शिव की लगन से गर्म हो
पिघली अगन से बर्फ जो
चल दी उमंगित एक नदी
जल रेख हर्षित खिंच कर
कण कण उमंगित हो रहा
शिव को उमंगित जानकर
माता उमा पुलकित मगन
गाती भजन शिव ध्यान कर
शंकर मगन खुशहाल हैं
अम्बर धरा खुशहाल है
भक्तो की इच्छा पर हुए
नटराज खुद महाकाल हैं
योगी योगेंद्र
सुप्रभात मित्रों
जय शिव शम्भो