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साजिश

27 अगस्त 2018

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साजिशो का दौर है साहब.. यहाँ नाम के लिये लोग खुद को बदनाम किया करते है.. और जो देते है ,,सुबह इश्क का मशवरा .... शाम को वही कत्ले आम किया करते है !!🙏🙏

अभय चतुर्वेदी की अन्य किताबें

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मेरे सपने

17 जून 2017
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अक्सर पूछते है ये रात के सन्नाटे मुझसे क्यूं आ रही है कुछ टूटने की अाहटे तुझसे अब क्या बताऊ इन रात के अधियारों सेकी अवाजे आ रही है मेरे टूटते हुए सपनो के गलियारों से

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बस इतनी सी ख्वाहिश है

3 जुलाई 2017
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तेरी मेंहदी का रंग बनू मैं ,,बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरे जीवन में संग चले तू बस इतनी सी ख्वाहिश है नजरे उठाऊ तो तू नजर आयेबस इतनी सी ख्वाहिश है जीवन मे तू खूब मुस्कुरायेबस इतनी सी ख्वाहिश है

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कह दो इन रतियो से

6 जुलाई 2017
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कह दो इन रतियो से अब तो सताना छोङ देंहॉं मैं हारा हूं जिंदगी में मुझको बताना छोङ देंजी लूगा मै हार के भी मुझ पर एहसान जताना छोङ देंकह दो इन रतियो से अब तो सताना छोङ देंबहुत दिखाये तूने झूठे सपने अब तो सपने दिखाने छोङ देंकह दो इन रतियो से अब तो सताना छोङ देंबहुत दिखाया

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स्व प्रेरणा

14 जुलाई 2017
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चलता चला जा रहा हू यही सोचकर गलियो में अकेला,,,,,,, कि कौन हूं मैं,,, कौन हूं मैं !!!!!!!! लिखेगा इतिहास कभी इबारत जिसकी वो मौन हूं मैं,,,,,,,,,,,,वो मौन हूं मैं.....हाँ, यह सच है की जिंदगी में खूब हारा हूं मैं!!!!पर क्या करू एक खुद ही तो का सहारा हूं मैं....चलता चला जा रहा हूं इन अंधेरी रातो मे

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साजिश

27 अगस्त 2018
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साजिशो का दौर है साहब..यहाँ नाम के लिये लोग खुद को बदनाम किया करते है..और जो देते है ,,सुबह इश्क का मशवरा ....शाम को वही कत्ले आम किया करते है !!🙏🙏

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घंमड

27 अप्रैल 2019
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बेवजह लगा हुआ तू इस कदर इतराने मेंन जाने कितनी हस्तिया मिट गयी इस जमाने मेंऔर था उसकी कदमों में जन्नत,,फिर भी टूटकर जीवन गुजार दिया मैखाने में!!🙏🙏

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झूठा घंमड

27 अप्रैल 2019
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बेवजह लगा हुआ तू इस कदर इतराने मेंन जाने कितनी हस्तिया मिट गयी इस जमाने मेंऔर था उसकी कदमों में जन्नत,,फिर भी टूटकर जीवन गुजार दिया मैखाने में!!🙏🙏

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hope

5 अक्टूबर 2019
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सपने मेरें मर रहें है, ,,उम्मीदें मेरी जल रहीं है ..टुकड़ों में ही सही,,पर दुनिया मेरी बदल रही है.! है उजाले नाराज से कुछ ,,रोशनी दिन ब दिन ढल रही है ..और लड़खड़ाती ही सही,पर जिंदगी अब भी चल रहीं है.!किरदार सारे गुमनाम हो गये पर कहाँनिया अब भी चल रही हैलिखने को कुछ बाकी नही,,फिर भी कलम मेरी मचल रहीं है

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बुझती उम्मीदें,

5 अक्टूबर 2019
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सपने मेरें मर रहें है, ,,उम्मीदें मेरी जल रहीं है ..................टुकड़ों में ही सही,,पर दुनिया मेरी बदल रही है.!!!!!!!! है उजाले नाराज से कुछ ,,रोशनी दिन ब दिन ढल रही है .......और लड़खड़ाती ही सही,पर जिंदगी अब भी चल रहीं है.!!!!किरदार सारे गुमनाम हो गये पर कहाँनिया अब भी चल रही है...लिखने को कुछ बाक

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जूनून

25 अक्टूबर 2019
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जब ठान लिया कुछ पाने कोतो क्या डरना जमाने को??और जब जिद हो जीत जाने कीतो चिंता किसे जमाने की..आ कुछ ऐसा करके दिखाते हैकी हम चीज क्या है??ये दुनिया को बताते है..बेशक सभी सोचते है कौन है हम,कौन है हमलिखेगा इबारत जिसका इतिहास वो मौन है हम मौन हम

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लाचार इंसान

25 मार्च 2020
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न जानें कब से एक ख्याल लिये बैठा हूँ,बेवजह ही सही पर कुछ सवाल लिये बैठा हूँ!पंछी उड़ रहे है आज बेफ्रिक होकर आकाश में, मैं "इंसान" दुनिया को शमशान किये बैठा हूं !!अभय चतुर्वेदी 🙏🙏

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pandemic

21 अप्रैल 2020
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उधर मौत के आकड़े बढ़ रहे हैइधर हम बेबस इंसान आकड़े पढ़ रहे है!!

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कसक

22 अप्रैल 2020
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गर किसी को अपना मानों तो उसे बताते रहों.थोड़ा थोड़ा ही सहीं पर हक अपना जताते रहों.वो क्या है कि दुनिया में "बेईमान " बहुत हैंतुम तो बस अपना "ईमान" उन्हें दिखाते रहों .

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