अपने अंतिम रूप में आने के लिए यह पुस्तक बहुत से लोगों की ऋणी है जिनके बिना यह प्रकाश में नहीं आ पाती। नीचे जिन व्यक्तियों का उल्लेख किया गया है उनमें से प्रत्येक व्यक्ति ने इस पुस्तक की रचना में योगदान किया है।
अर्तिका बक्षी और गुरविशा आहूजा, जिन्होंने पुस्तक के अंतिम प्रारूप को पढ़कर मुझे मूल्यवान सुझाव दिए जिससे यह पुस्तक पटरी पर बनी रह सकी।
हरमीत एस. आहूजा, जिन्होंने ऑप्टिक्स की भौतिकी के संदर्भ में मुझे बहुमूल्य जानकारी उपलब्ध कराई और कथानक के संदर्भ में इस पुस्तक के लिए केंद्रीय महत्त्व रखने वाले ऑप्टिक्स से संबंधित हिस्से की समीक्षा कर उसको सत्यापित किया।
सुधीर राजपाल, जिन्होंने मुझे हिंदुस्तान में किसी शहर को ख़ाली कराए जाने की प्रक्रिया के मामले में शिक्षित किया।
आनंद प्रकाश, जिन्होंने वेबसाइट को व्यवस्थित और चालू रखने में मदद की और डेंज़िल ओ'कॉनल जिन्होंने पुस्तक के प्रचार-प्रसार के लिए नवाचारी सुझाव दिए ।
रितु राठौर और आनंद प्रकाश, जिन्होंने इस पुस्तक का अद्भुत आवरण तैयार किया। मैं शुक्रगुजार हूँ दोनों का जिन्होंने ऐसा आवरण तैयार किया जिसके माध्यम से कहानी जीवंत हो उठती है।
मैं धन्यवाद देता हूँ जेरल्ड नोर्डले, पेट मैकईवन, केविन ऐंड्र्यू मर्फी, जेय स्टोअन, जिंजर कदेराबेक, फ़्रांसेस्का फ़्लिन, माइक मॉस्को, बर्ट रिची, एलिज़ाबेथ गिलिगन, फ़िलिस रेडफोर्ड, कैरन मिलर, सिंडी मिचेल, बॉब ब्राउन और राइटर्स रिसर्च ग्रुप के अपने साथियों को जिन्होंने मेरे सारे सवालों के जवाब दिए और मुझे वे तकनीकी जानकारियाँ उपलब्ध कई जिन्होंने मुझे यह सुनिश्चित करने में मदद की कि शोध पर आधारित पुस्तक के सारे दृश्य, विशेष रूप से चरमोत्कर्ष सटीक और यथार्थपरक बने रहें ।
इस पुस्तक के लेखन में जिन लोगों ने मेरी मदद की है उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए मैं इसकी तमाम ग़लतियों की और पुस्तक के और तथ्यों या विवरणों में हुई किसी तरह की चूकों की सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर लेता हूँ।