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आदत

19 जुलाई 2016

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जिंदगी की जंग कभी खत्म नही होती,

इसे यू खत्म कर देने से मुश्किले हल नही होती ,

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती .

 

जोश ,जूनून और आत्मविश्वास को साथी बनाओ ,

डर और हार की दीवारो को मन से दूर हटाओ ,

सभी उलझने जिंदगी की कहा हल होती है ,

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती .

 

सफलता का रास्ता आसान नही होता है ,

यहा हर पल अनुकूल भी नही होता है ,

हिम्मत से बढो , आंधियो से डट कर लडो ,

हर रोज़ एक नयी उम्मीद जन्म लेती है ,

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती .

 

 

खुशिया सिर्फ जीत मे ही मत ढूढो ,

कोशिशो मे भी मुस्कुरा के चलो ,

हर रोज़ नया दिन होता हैं ,

हर हार अंत नही होती ,

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती .

 

 

जिंदगी सिर्फ तुम्हारी नही है ,

इसमे माता-पिता की उम्मीदे बंधी है

छोटे भाई या बहन का आत्मविश्वास है ,

बडे भाई और बहन का दुलार है

 

गिर जाने मे कोई बुराई नही है ,

खुद पर विश्वास रखो ,

अपनी गलतीयो को खोजो ,

हार कर मत बैठो ,

क्योंकि हर दिन एक नयी शुरुवात है होती ,

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती .

गिरो ,उठो और फिर लडो ये आदत कभी विफल नही होती ......

 

-©चिराग जोशी

+91-9827279630

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आदत

19 जुलाई 2016
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बदलता दौर

19 जुलाई 2016
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आखरी गलती

21 जुलाई 2016
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राजीव ने अपने पेन को ऊठाकरअंगूठे और उसके पास वाली उंगली से घुमाने लगा . इस तरह पेन को घुमाने की  कला हर कॉलेज़ जाने वाला स्टूडेंट को कक्षा 12वीसे ही आ जाती है. इस कला मे जैसे ही कोई छात्र माहिर हो जाता है उसे लगने लगता हैउसने जिंदगी की एक बहुत बडी पहेली हल कर ली है.पूरी कहानी पढने के लिए निचे दी हुई 

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मैंने आज फिर कलम उठाई है

2 सितम्बर 2016
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कोरे कागज़ पर अल्फाजो की बहार आई हैअहसासो ने फिर दिल मे एक धुन बजाई हैबहुत दिन हुये ....मैंने आज फिर कलम उठाई हैआगे की कविता पढ़ने के लिए निचे दी हुई लिंक पर क्लिक करे. http://www.drivingwithpen.com/2016/09/blog-post.html

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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन

29 जून 2017
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“ क्या भिया ? बोत दिन से दिख नी रिये हो । पेले रविवार भी तुम्हारा इंतेजार किया हमने नी-नी करके 2 घंटे तक राजू को पोहे नी बनान दिये के यार रुक जा अभी आ रिये होयेंगे पप्पू भिया पर तुम आये नी यार, ऐसा थोडा नी चलता है ” – रितिक ने दूर से आते हुये पप्पू भिया से कहा । “ अरे या

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