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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन

29 जून 2017

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“ क्या भिया ? बोत दिन से दिख नी रिये हो । पेले रविवार भी तुम्हारा इंतेजार किया हमने नी-नी करके 2 घंटे तक राजू को पोहे नी बनान दिये के यार रुक जा अभी आ रिये होयेंगे पप्पू भिया पर तुम आये नी यार, ऐसा थोडा नी चलता है ” – रितिक ने दूर से आते हुये पप्पू भिया से कहा । “ अरे यार बारीक क्या बताऊ यार वो एक तो पेले शनिवार को वो मैच के चक्कर मे रे गे और सुबह नींद नी खुली , वो मैच के बाद जो नाचे नी यार के क्या बताऊ , अपन सरवटे पर चिल्ला रिये थे ने आवाज़ एम.वाय तक आ री थी । “ “ वो रविवार तो उसमे निकल गिया ने फिर यार ये अपने किसान भाईयो ने आंदोलन कर दिया “। रितिक-“ हा यार भिया ये तो गजब ही हुआ ने अब मान भी नी रिये है ये लोग “। पप्पू – “ नी यार रितिक अपने किसान भाई की सब बाते तो मान ली है अपने मामा ने “। रितिक- “तुम्हारे मामा, बताया नी भिया तुम्हारे मामा राजनीति मे है और तो ओर भिया अभी सरकार मे भी है “। पप्पू- “ अबे गेलिये मे अपने मुख्यमंत्री की बात कर रिया हू “।रितिक- “अच्छा ,शिवराज मामा की के रिये हो “ । पप्पू- “ हा यार पर मेरे को लगता है के अपन सब भी तो किसान है , आज किसान भियाओ ने आंदोलन किया ने फिर उनका कर्ज़ माफ हुआ और फिर सब ठीक हो ही जायेगा “। रितिक- “ भिया बात तो सही है , पर एक बात बताऊ ये तुम किसान कब से बन गिये , कही वो फेसबूक पर फार्मविले को तुम असली खेती तो नी समझ रिये हो “।




http://chiragkikalam.in/kumble-kohli-dispute-in-indori/

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आदत

19 जुलाई 2016
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बदलता दौर

19 जुलाई 2016
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आखरी गलती

21 जुलाई 2016
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राजीव ने अपने पेन को ऊठाकरअंगूठे और उसके पास वाली उंगली से घुमाने लगा . इस तरह पेन को घुमाने की  कला हर कॉलेज़ जाने वाला स्टूडेंट को कक्षा 12वीसे ही आ जाती है. इस कला मे जैसे ही कोई छात्र माहिर हो जाता है उसे लगने लगता हैउसने जिंदगी की एक बहुत बडी पहेली हल कर ली है.पूरी कहानी पढने के लिए निचे दी हुई 

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मैंने आज फिर कलम उठाई है

2 सितम्बर 2016
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कोरे कागज़ पर अल्फाजो की बहार आई हैअहसासो ने फिर दिल मे एक धुन बजाई हैबहुत दिन हुये ....मैंने आज फिर कलम उठाई हैआगे की कविता पढ़ने के लिए निचे दी हुई लिंक पर क्लिक करे. http://www.drivingwithpen.com/2016/09/blog-post.html

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तिरभिन्नाट पोहा-पप्पू भिया का रिजाईन

29 जून 2017
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“ क्या भिया ? बोत दिन से दिख नी रिये हो । पेले रविवार भी तुम्हारा इंतेजार किया हमने नी-नी करके 2 घंटे तक राजू को पोहे नी बनान दिये के यार रुक जा अभी आ रिये होयेंगे पप्पू भिया पर तुम आये नी यार, ऐसा थोडा नी चलता है ” – रितिक ने दूर से आते हुये पप्पू भिया से कहा । “ अरे या

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