खौफ के आगोश में पल रहा हैआदमी
राह है दुश्वार फिर भी चल रहा है आदमी
किस कदर पीड़ा है देखो मुफ्लिशी के दौर में
लाश अपनी खुद ही लेकरचलरहाहै आदमी
वेणी शंकर पटेल
साइंखेड़ा गाडरवारा31 दिसम्बर 2015
खौफ के आगोश में पल रहा हैआदमी
राह है दुश्वार फिर भी चल रहा है आदमी
किस कदर पीड़ा है देखो मुफ्लिशी के दौर में
लाश अपनी खुद ही लेकरचलरहाहै आदमी
वेणी शंकर पटेल
साइंखेड़ा गाडरवारा