लघु कथा जेबकतरा
सुबह से ही वह कई दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चूका था . विचारों की उधेड़बुन में वह रेलवे स्टेशन केप्लेट्फॉर्म पर चलते चलते काफ़ी दूर निकल गया . आउटर ऍक दरख्त की छॉव में बैठकर उसने सिगरेट सुलगा ली .सिगरेट का क्षण क्षण घटता आकार उसे ज़िंदगी के मानींद लगा . अचानक उसकी आँखों में चमक आ गई .