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आज की जिंदगी,

22 सितम्बर 2022

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आज की जिंदगी सुकून भरी नहीं है, जिंदगी में सभी
तेजगति से दौड रहे है, बच्चे भी सुबह स्कूल ग्रह कार्य खेल कूंद के साथ टीवी मोबाइल टैबलेट में व्यस्त है मोज मस्ती का कम समय मिलता है, माता पिता घर के बडे लोग भी जीवन यापन हेतु धन उपार्जन में व्यस्त है, दैनिक दिनचर्या में फंसे लोगो को समय की कमी है, हर कोई मोबाइल से जुडा हुआ है, शान्ति के पलों के तरह रहे हैं, मनोरंजन के लिए समय यदा कदा ही मिल रहा है, 
बच्चों के साथ माता पिता का समय कम बीतने से बच्चों में अपनापन प्यार स्नेह की कमी आरही है, 
हमें अपनी जबाबदारी सही से निभाने के लिए बच्चों
बडो़ के लिए समय तथा स्वयं के लिए समय निकालना जरूरी है, हम मशीन न बन जाऐं, हमारे पारबारिक सामाजिक दाइत्व भी है, केवल आर्थिक
पक्ष ही ध्यान में रखकर हम सुख चैन नहीं पा सकते, 

गिरजा शंकर उपाध्याय की अन्य किताबें

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रचनाएँ
गिरजा शंकर उपाध्याय की डायरी
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यह पुस्तक बांकेबिहारी की प्रेरणा से लिखी गई है, दिनांक 5-10-2019 को में विन्द्रावन बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुचा एक बालक लगभग आठ बर्ष का सामने खड़ा था जो हमारे ऊपर फूलों को फेक रहा था, साथी लोग पूछ रहे थे फूलों को कोंन फैक रहा है, मेने सामने कहा सामने खड़ा बालक फैंक रहा है, इतना कहते ही बालक अद्रश्य हो गया, प्रेरणा से पुस्तक बांकेबिहारी की प्रेरणा लिखी है, जो ऐमाजोन फिलिप काड पर उपलब्ध है, विश्व मेले में 25-2-2023 से उपलब्ध रहगी, लगभग 10 देशों में भी उपलब्ध है, आध्यात्म भक्ति, सनातन धर्म योग आदि बिषय तथा मानवीय व्यवहार से संबंधित मनको प्रभावित करने वाले लेख एवं कबिता दोनों रुप में है,
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22 सितम्बर 2022
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बांकेबिहारी की प्रेरणा,

22 सितम्बर 2022
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यह पुस्तक बांकेबिहारी जी की प्रेरणा से लिखी है, दिनांक 5-10-2019 को बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुचा, अचानक एक 8बर्ष का बालक फूलों को हमारे ऊपर तथा पास खड़े बालक पर फैंकने लगा, सभी ने पूछ

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मन की सोच का प्रभाव,

23 सितम्बर 2022
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हमारे मन की सोच से हमारे कार्य व्यवहार प्रभावित होते हैं, मनको सही सोच की ओर लगाने के लिए हमें सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए, मन पर सोच चित्र चिंतन हमारे चारों तरफ के बाताबरण घर परिवार मित्रों की सोच

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