आजादी का जश्न है हर ओर खुशहाली छाई है
बड़ी-बड़ी कुर्बानियां देकर हमने यह आजादी पाई है
पीढ़ीदर पीढ़ी गुलामी की बेड़ियां सही हमारे पुरखों ने
जाने क्या-क्या यातनाएं पीड़ायॆंसही हमारे पुरखों ने
जाने कितने युद्ध हुए जाने कितने शहीद हुए
कितनी रानी झांसी बनी कितने प्रताप से वीर हुए
हमारे ही घर बाहर से आकर गोरे हमारे सरताज हुए
जुल्मों सितम ढाए हम पर जाने कितने बच्चे अनाथ हुए
अब मिली है आजादी तो इसकी कीमत समझनी होगी
बहुत सहा है उन वीरों ने यह बात हमें समझनी होगी
आओ मिलकर कसम खाएंना भूलेंगे उनकी कुर्बानी
देश हित के लिए दांव पर लगा देंगे अपनी जिंदगानी
केवल नारे लगाकर ही हम अपना फर्ज नहीं निभाएंगे
मरते दम तक देश सेवा कर आजादी का कर्ज चुकाएंगे