तूफान जला रखा था
दिल मे आग का तूफान जला रखा था, आंखो मे कुछ पाने को अरमान खिला रखा था, मालूम ना थी मंजिल का ठिकाना मगर, चाहत मे उसने जहाँ भुला रखा था। इंटरनेट पे कभी गुगल करता, अखबारो सेकभी मंजिल का पता पूछ्ता, दौर परता उम्मीदकी थोरी सी किरन देख, निराशा