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आने वाला कल

12 अप्रैल 2022

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आज फिर भाषण प्रतियोगिता जीत के आई है, कितना अच्छा लगता है ना इतनी कम उम्र में ऐसी सोच से लोगों की मानसिकता पर असर डालने का प्रयास करती है। मां ने खुश हो कर बड़ी नानी से बोला। बस महाभारत शुरू.......

बहुत अच्छा लगा होगा तुम्हे , तुम्हे तो हम लोगो ने नौकरानी बना के रखा है तुम पर अत्याचार करते है और तुम्हारी बेटी अपनी बकवास से लोगों का दिमाग खा पका के जब 5 10रुपए का इनाम ले के आती है तुम्हारी झूठी तकलीफ की कहानी और उसका विरोध करने वाले चरित्र गढ़ के तो तुम तो खुशी के मारे आधी ही हो जाती होगी। 

ऐसा नही है दादी मैने उससे कभी भी कुछ भी नहीं कहा , ये तो उसकी अपनी सोच है और अच्छा ही तो है ना अगर मेरे जैसे चुप रह कर सबकी सुनती रहेगी तो आगे की जिंदगी भी मेरी तरह ही कटेगी और मैं ये कभी नहीं चाहूंगी की मेरी बेटी जिंदगी काट कर जिए बल्कि जिंदगी जिंदादिली से जिए जैसे सामान्य लोग जीते है और हमारा घर परिवार तो अद्भुत है , जहां गलत का गलत नही बोल सकते ,बातों का विरोध नहीं कर सकते सिर्फ इस वजह से की बात किसी बड़े ने बोल दी है । गलत और उटपटांग ही सही लेकिन बड़ो की बात माननी ही है। क्या फायदा है ऐसे जीने का जहां अपना नाम पहचान कुछ भी नही और लड़की है इसलिए तो इज्जत मिलने का सवाल ही सपना जैसा लगे।

 मैं अकेली पड़ गई चाह के भी गलत का विरोध नहीं कर पाई ,मेरे सही होते हुए भी किसी ने मेरा साथ नही दिया क्युकी मैं एक ऊंचे खानदान की बड़ी लड़की थी और सबकी इज्जत का टोकरा मुझे ढोना था। मेरे कुछ भी करने से मेरे परिवार की बाकी लड़कियों की जिंदगी खराब हो जाएगी और भी पता नहीं क्या क्या और कितने दुष्परिणाम गिना दिए जाते गलत की गलत कहने की हिम्मत करने से, लेकिन बहुत हुआ मैंने तो नही देखा की मेरे दुखी रहने से किसी की जिंदगी में कोई खास असर या बदलाव हुआ हो ।आज भी होली दिवाली और तीज त्योहार ऐसे ही उत्साह से मनाए जाते किसी को भी तो मेरा अकेलापन और मेरा दर्द नही दिखा कभी भी।

मैं खुद की जिंदगी तो बहुत बेहतर नहीं कर सकी लेकिन अपनी बेटी को ऐसी हिम्मत और स्वाभिमान वाली जिंदगी दूंगी की लोग मिशाल देंगे। अपना जीवन अपनी बेटी में देखूंगी ,बेचारी नही चिंगारी बनाऊंगी उसको,सिर्फ इसलिए सहना नहीं सीखा सकती की तुम्हारे बड़े है जो करेंगे सही करेंगे । निकलो दादी इस सोच से नही तो बची खुची जिंदगी भी बातें सुनते जाएगी हमारी। 

मैं ख्याति अपने कमरे में लेटी लेटी खुश होते हुए अपनी मां की बातें सुन रही थी।मेरी मां जो38 की उम्र में 50सी लगने लगी थी ।जो लोगों की बातों की वजह से जीना भूल चुकी थी जो किसी के सामने तो इतनी मजबूत बन कर सब सुन लेती लेकिन रात रात भर चुपचाप सिसकते सिसकते पता नही कब सोती थी। ये सब बहुत ज्यादा मुझे भी समझ नही आता लेकिन हां मेरी मां अपनो की वजह से तकलीफ में है ये समझ आता था और 15की उम्र में इतनी समझदारी तो आ गई थी की मुझे ये सब ठीक करना है ताकि मेरी मां खुश रह सके । देखते हैं आगे क्या होता है जो मां अपने लिए तो हर बार चुप रह गई आज मेरे लिए हर जगह ढाल बन कर खड़ी रहती है उसके लिए आने वाले समय में मैं क्या करती हूं।

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