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'' चेयरमेन'' दादासाहेब फाल्के फिल्म फॉउंडेशन , राइटर डायरेक्टर हिंदी और मराठी फिल्म, मेम्बर IFTDA ,FWA ,IPRS ,MCAI मैनेजिंग डायरेक्टर - आफरीन चेनल प्रावेट लिमिटेड ,CEO -आफरीन म्यूजिक .,

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ताअसुबी मगरुरी

12 जून 2018
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ताअसुबी मगरुरी किसी को दोस्त बनने नही देती है दुर इससे रहना बेहतर। हराम काम कई ये करादेती खत्म कर इंसानियत बनादेती है जानवर से बदतर। नासुर की तरहा बढजाती है ये करदेती है दुर सारे अपनो से अकसर।

जीने का तरीक़ा

11 जून 2018
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इस से बढकर दिलेरी नही खताओं को औरों की माफ करना। सुकुन का सबसे बडापल है मलाल को दिल से साफ करना। अगले पल का न भरोसा किसी का बेहतर है दिल का बोज कम करना।

गाफिल

10 जून 2018
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धनदौलत रिश्तेनातो की लालच मे आज इंसा बेखबर खुदा से होगया। दौरे तरक्की मे मश्गूल आज इंसा गाफिल खुद ही से होगया। चकाचौंद मे दुनिया की आज इंसा अपने रब से दुर होगया। जाना है जिसीके पास पलभर उसे यादकर के देखो कही वो हमसे खफा तो न होगया? *आशफ़ाक़ खोपेकर*

दोस्ती

10 जून 2018
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रिश्ता नही है कोई दोस्ती से बडकर एहतराम उसका करना आना चाहीये। कोई उम्मीद दोस्त से करने से पहले तुम्हे भी दोस्ती निभाना आना चाहीये। ऐसे तो बोहत मीलते है दोस्त मतलब निकालकर मुह फेरनेवाले।

शुद्ध आत्मा

8 जून 2018
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संगत से नही विचारो से साधु संत पीर फकीर महात्मा के शुध्द होती आत्मा। पापी कई लगेपडे है डेरो मे सिर्फ खिदमत संगत से शुध्द करने अपनी आत्मा।

इबादत

7 जून 2018
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कर्म से होती पहेचान सबकी कर्म ही है मील्कियत आखिरत की। दिखावा कुछभी करो फल वही देता खुदा जैसी है नियत आप की। सखावती का दिखावा बेवकुफी है उससे नही बनती पहेचान किसी की।

इन्सान

4 जून 2018
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जेब नही होती कफन मे फिर भी मशगुल है दौलत समेटने मे इन्सां। उमदा हिस्सा इस छोटीसी जिन्दगी का बरबाद करके पच्छताता है इन्सां। देखे है दुनिया वालोने कई तवंगर और बादशाह को खाली हात जाते हुए। भुलकर खुदाको जर,ज़मी, ज़ेवर, शौहरत के पीछे आज भी दौडता है इन्सां

राहे जिन्दगी

2 जून 2018
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राहे जिन्दगी के सफर मे हर पल संभलकर चलना होगा। बेकसुर राहगिर भी कभीकभी हादसो का शिकार होते है। वक्त का लिखा कोई नही जानता वक्तके खेलसे सब अंजान होते है।

अख़लाक़

1 जून 2018
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सुन्हरी यादो को सजोए रखना मुश्किल हालात मे सहारा बनजायेगी। दुखोमे अपनी उन हरकतो को यादकरना जिसने औरो का दिल दुखायी होगी। न डर खुश्यो का मज़ा दुगना होगा गर गम़के साये से जिन्दगी गूजरी होगी। खौफेखुदा दिलमे बसाकर देख हर दिन ईद और हर रात चांदरात होजायेगी। *आशफाक खोपेकर

मशरुफ

31 मई 2018
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हर कोई हर वक्त अब मशरुफ है मोबाईल के साथ। दमडी की कमाई नही मीनटभर की फुरसत नही--- यही होरहा है आज अकसर कई लोगो के साथ। माना के अनगिनत फायदे होते है मोबाईल मे नेट आने के साथ। दुनिया को करीब लेकर अपनो से दुर हो बैठे मोबाईल के साथ। फिक्र नेटवर्क डाटा चार्जीग की रहती रहो

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