जेब नही होती कफन मे फिर भी मशगुल है दौलत समेटने मे इन्सां।
उमदा हिस्सा इस छोटीसी जिन्दगी का बरबाद करके पच्छताता है इन्सां।
देखे है दुनिया वालोने कई तवंगर और बादशाह को खाली हात जाते हुए। भुलकर खुदाको जर,ज़मी, ज़ेवर, शौहरत के पीछे आज भी दौडता है इन्सां। *आशफाक खोपेकर*