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बैचेन मन (धुए की लकीर)

19 सितम्बर 2022

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 बैचेन  मन 
 घर में होली का माहोल  मा के दिल में बेटी के आने का इंतजार  जया पहली होली पर घर जो आ रही है घर में खुशी का माहोल  छाया हुआ 
तभी दरवाजे पर जया की आवाज आती है रीमा दोड कर बहन  के गले  लग जाती है | मा जया को देखकर  विभोर  हो जाती है तभी उनकी 
नजर  साथ आये दामाद जी पर पढती  है 
मा का दिल खुश हो गया की ससुराल अच्छी है मा की नजरे  जया को देख
रही जया ने मा का हाथ पकडा ओर अन्दर  चली दी,मा सब लोग बहुत अच्छे  है य़े कहकर  अपने पति के साथ कमरे  में चली दी l
घर के सभी लोग होली पूजा  की तेयारी  में लगे होली पूजा के बाद  हुडदंग 
होता ही है  जया को पिछले  साल की होली याद आ गई होली का मजा तो रात को ही आयेगा 
रीमा  बहुत खुश थी की उसके जीजा जी आये है वो उनके साथ होली का 
मजा  लेगी वो सोच  ही रही थी की दीदी ने कांधे पर  हाथ रखते हुये  कहा  की रीमा तेरे जीजा  को होली का हुडदंग ज्यादा  पसंद  नहीं है ओर न ही 
ह्ल्ला गुल्ला ,यह  कहकर कमरे  में  चली गई l
जया पति को बताने  लगी यहा  होली बहुत जोरदार  खेली  जाती है पर आप बिलकुल चिंता मत करो आपको कोई  हैरान नहीं  करेगा य़े कहते 
हुये  काम में लग गई l
चेतन  मन ही मन सोचने  लगा कि य़े केसी  सीमा रेखा में बांध रही है 
में इतनी  दूर  से घर के कोने में  बेठने  थोड़ें  ही आया  हूँ पर कुछ  कह  न सका l 
होली जली  ओर गुलाल का खेल  जोर शोर  से शुरु  हुआ  सभी लोग  जया
ओर चेतन को गुलाल लगाने लगे सभी लोग बारी बारी से आए जया बार बार   सभी से एक ही बात  कह रही कि उनको  ज्यादा  शोर गुल पसंद  नहीं ,पर रीमा  का दिल तो जीजा से होली खेलने का बना हुआ है 
रात भर सुबह का इंतजार  सुबह होते ही रीमा  ओर घर के लोग अपने अपने साथियो के साथ होली खेलने लगे पर रीमा  जेसे ही रंग लेकर जीजा 
के कमरे के ओर आती तभी जया उसे य़े कह कर कि जीजा को पसंद  नहीं है एेसा  कई बार हुआ l
अब तो चेतन कि धर्य सीमा भी टूटने लगी उसको  भी गुस्सा आने लगा कि
जब होली खेलना  ही नहीं था तो मुझे यहा  लाई क्यू ?
वह कमरे से ही आवाज दे कर बोला रीमा में यहा हूँ  होली खेलने ही इतनी 
दूर से आया हूँ न कि कमरे में बैठने ? 
य़ार  तुमने  तो हद  कर दी मेरा भी मन सब के साथ होली खेलने का पर तुम तो धुये  की लकीर  खीच रही हो य़ार

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