लघु कथा परिंदे
रिस्तो के व्याज पर आधारित लघु कथा
भोला प्रसाद तीन बेटो का पिता है तीनो बेटे पढ़ेलिखे है कुछ
ज्यादा कुछ कम ।दो बेटो की नोकरी लगते ही उनकी दिन चर्या
बदल गई ,तीसरा बेटा अपने घर के काम में हाथ बटाने लगेऔर उसका मन माता पिता की सेवा में रम गया।
प्रसाद जी ने दोनों बेटो की शादी धूम धाम से कर दीकुछ दिन बाद दोनों बेटे शहर से दूर चले गये ,छोटे बेटे को अच्छा न लगा ।वो सोचता की में भी नोकरी में निकल जाउगा तो ये दोनों अकेले रह जायेगे।
ये सोच कर उसने अपने शहर में ही अच्छी नोकरी कर ली और तन मन से सेवा में लगा रहता। माता पिता की बृद्ध अवस्था के कारण उनकी बीमारी भी जड़ पकड़े लगी ।इस बेटे की शादी करके निश्चिन्त हो गये।बेटा रूटीन चैकअप के लिये डॉक्टर के पास ले जाता।जब भी डॉक्टर पुछता दोनो बेटे कैसे है पिता गर्व से उनकी तारीफ पे तारीफ करते और साथ ही इस बेटे को उन बेटो से कम होशियार बताते ।ये बात डॉक्टर को बिलकुल नही सुहाती
भोला प्रासाद को डॉक्टर ने समझाया की तेरे दोनों बेटे परिंदे की तरह तेरे से दूर उड़ गये तब भी तुम उनका नाम जपते हो जब की ये बेटा सबसे होशियार ईमानदार और माता पिता की सेवा करने वाला
आपको तो इस पर पर गर्व होना चाहिये जो अपनी ख़ुशी न सोच कर आपकी ख़ुशी में खुश रहता है आपको हीरे की कद्र नही ?
जो बेटे परिंदों की तरह उड़ गए उन्हें ही दाना चुगाने की सोचते हो
🌿🌼🌿कामिनी गोलवलकर🌿🌼🌿