- ब्राह्मण ग्रंथ ही वेद के सर्वाधिक निकट तथा उसे समझने के आधार ग्रंथ है।
- ऐतरेय ब्राह्मण सभी ब्राह्मण ग्रंथों में पुराना व जटिल ग्रंथ है।
- ब्राह्मण ग्रंथों के मिथ्या अर्थों के कारण संसार में पशुबलि नरबलि मांसाहार नशा आदि पापों का उदय हुआ और इन पापों के लिए वेदादि शास्त्रों को उत्तरदाई ठहराया गया।
- विश्व के विभिन्न संप्रदायों में ये पाप यहीं से फैले इस कारण भारतीय प्राचीन इतिहास भी बदनाम हुआ।
- वेद व ब्राह्मण ग्रंथों का महान विज्ञान सर्वत्र लुप्त हो गया।
- इन सब कारणों से महर्षि दयानंद सरस्वती के ग्रंथों से संकेत पाकर ब्राह्मण का वैज्ञानिक व्याख्यान करने का व्रत लिया क्योंकि इससे ही वेद का विशुद्ध विज्ञान प्रकाशित होकर बेदारी शास्त्रों एवं भारतीय इतिहास पर लगी मिथ्या आरोपों को दूर किया जा सकता है।
- ब्राह्मण ग्रंथ ही वेद के सर्वाधिक निकट तथा उसे समझने के आधार ग्रंथ है।
- ऐतरेय ब्राह्मण सभी ब्राह्मण ग्रंथों में पुराना व जटिल ग्रंथ है।
- ब्राह्मण ग्रंथों के मिथ्या अर्थों के कारण संसार में पशुबलि नरबलि मांसाहार नशा आदि पापों का उदय हुआ और इन पापों के लिए वेदादि शास्त्रों को उत्तरदाई ठहराया गया।
- विश्व के विभिन्न संप्रदायों में ये पाप यहीं से फैले इस कारण भारतीय प्राचीन इतिहास भी बदनाम हुआ।
- वेद व ब्राह्मण ग्रंथों का महान विज्ञान सर्वत्र लुप्त हो गया।
- इन सब कारणों से महर्षि दयानंद सरस्वती के ग्रंथों से संकेत पाकर ब्राह्मण का वैज्ञानिक व्याख्यान करने का व्रत लिया क्योंकि इससे ही वेद का विशुद्ध विज्ञान प्रकाशित होकर बेदारी शास्त्रों एवं भारतीय इतिहास पर लगी मिथ्या आरोपों को दूर किया जा सकता है।